ताँका-जुगलबन्दी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
ताँका-जुगलबन्दी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 11 मार्च 2013

जुगलबन्दी


एक विषय पर ताँका, सेदोका और चोका त्रिवेणी के पहले  कुछ अंको में दिए जा चुके हैं । हाइकु में जुगलबन्दी का प्रयोग किया गया था । आज ताँका में भी प्रो दविन्द्र कौर सिद्धू और डॉ हरदीप कौर सन्धु द्वारा इस नए प्रयोग की शुरुआत की जा रही है । हमारा प्रयास रहेगा कि भविष्य में कुछ आधार ताँका देकर साथियों की इस जुगलबन्दी वाली विशेषता को भी सामने लाया जाए । इस प्रथम प्रयास पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी ।
 
चाँदी रंग- सा 
चाँद का एक हर्फ़ 
काव्य पिरोया 
रात भी सुरमई 
यूँ सितारों के साथ |......प्रो. द. कौर 

चाँद- चाँदनी 
यूँ सितारों की लौ में 
हँसती रात 
अर्श से नूर बहे 
अँजुरी भर पिया ।.......डॉ.ह.कौर 

 
कोयल कूकें 
ज्यों वियोग की हूकें
काते वो चर्खा 
बता रे ज़रा फौजी 
हमारी याद आई  ।....प्रो. द कौर 

बाग-कोकिला
झुक-झुक टहनी 
देखती राहें 
माही परदेसिया 
तरस गईं आँखें । .......डॉ ह कौर 
-0-
प्रो दविन्द्र कौर सिद्धू 
डॉ हरदीप कौर सन्धु