एक विषय पर ताँका,
सेदोका और चोका त्रिवेणी के पहले कुछ अंको
में दिए जा चुके हैं । हाइकु में जुगलबन्दी का प्रयोग किया गया था । आज
ताँका में भी प्रो दविन्द्र कौर सिद्धू और डॉ हरदीप कौर
सन्धु द्वारा इस नए प्रयोग की शुरुआत की जा रही है । हमारा प्रयास रहेगा कि भविष्य में कुछ ‘आधार ताँका’ देकर साथियों की इस जुगलबन्दी वाली विशेषता को भी सामने लाया जाए
। इस प्रथम प्रयास पर
आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी ।
।
चाँदी रंग- सा
चाँद का एक हर्फ़
काव्य पिरोया
रात भी सुरमई
यूँ सितारों के साथ |......प्रो. द. कौर
चाँद- चाँदनी
यूँ सितारों की लौ में
हँसती रात
अर्श से नूर बहे
अँजुरी भर पिया ।.......डॉ.ह.कौर
२
कोयल कूकें
ज्यों वियोग की हूकें
काते वो चर्खा
बता रे ज़रा फौजी
हमारी याद आई ।....प्रो. द कौर
बाग-कोकिला
झुक-झुक टहनी
देखती राहें
माही परदेसिया
तरस गईं आँखें । .......डॉ ह कौर
-0-
प्रो दविन्द्र कौर
सिद्धू
डॉ हरदीप कौर सन्धु
6 टिप्पणियां:
Bahut achchha laga padhkar naya prayog...dono ko badhai...
bahut accha prayaog , accha laga badhai dono rachnakaro ko
बहुत सुन्दर प्रयोग। पढ़ कर बहुत आन्नद आया।
आप दोनों को बहुत बधाई।
kya baat hai aanand aaya .sunder pyog
aesa lag raha tha ki aamne saamne baethe hain aur ek dusre ki baton ka javab de rahe hain
badhai
rachana
बहुत बढ़िया...जुगलबंदी चाहे हाइकु में रही हो या आज इन तांका में...हमेशा दुगुना आनंद देती है...|
आभार और बधाई...|
प्रियंका
बहुत खूबसूरत जुगलबंदी. बहुत अच्छा प्रयोग. बहुत बधाई.
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