डॉ•सरस्वती माथुर
1
बेटी कोयल
घर माँ का बासंती
चहके बेटी
लगती रसवंती
भाग्य से है मिलती ।
2
सौन चिरैया
आई मेरी बगिया
ओ बिटिया तू
आँगन की चिड़िया
प्यारी मेरी
गुडिया ।
3
बिटिया बोली-
‘माँ ! मधुमय तेरा
घर -आँगन
खेलूँगी छमछम
कर तेरा दर्शन ।
4
माँ का अँगना
छमछम डोलूँ मैं
बाबुल मेरे
!
बताओ क्या बोलूँ मैं
जाना दूर,
रो लूँ मैं ?
-0-
3 टिप्पणियां:
माँ का अँगना
छमछम डोलूँ मैं
बाबुल मेरे !
बताओ क्या बोलूँ मैं
जाना दूर, रो लूँ मैं ?
बहुत मार्मिक...बधाई...|
रुला ही दिया...
क्यों बेटियों को दूर जाना पड़ता है... :(
~सादर!!!
बहुत सुन्दर सेदोका...बधाई
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