1-अनिता ललित
1
बेटी लाडली,
सुख-सौभाग्य पूर्ण,
जब पधारे..
घर-आँगन खिले
महके फुलवारी !
2
बहना प्यारी
भैया पे जाए वारी
होए निहाल
कलाई पे बाँध के
अटूट नेह-धागा !
3
राजकुमारी
अपने महल से
जब हो विदा
फुलवारी सिसके
माली छुप के रोए
4
पिया के देस
जो पहुँचे सजनी
सहम जाए !
नया घर, माहौल
सबको अपनाए !
5
भूले बचपन
समर्पित होकर,
कहलाए माँ
आँचल में समेटे
ममता की मिसाल!
6
नवजीवन
सृजन से वो पाती
माँ कहलाती
अपनी ममता से
हर दु:ख हरती !
-0-
2- सुशीला
शिवराण
स्त्री रहे समर्पिता
तेरी अस्मिता
कुछ दे प्रतिदान
सुन मनु -संतान।
3
करे है सेवा
तन-मन-धन से
आज की नारी
पिसे घर-दफ़्तर
1
त्याग कुप्रथा
बेटियाँ नहीं जिंस
कर दीं दान
स्वामी-दासी संबंध
समाज का कलंक।
2
हर रूप मेंत्याग कुप्रथा
बेटियाँ नहीं जिंस
कर दीं दान
स्वामी-दासी संबंध
समाज का कलंक।
2
स्त्री रहे समर्पिता
तेरी अस्मिता
कुछ दे प्रतिदान
सुन मनु -संतान।
3
करे है सेवा
तन-मन-धन से
आज की नारी
पिसे घर-दफ़्तर
1 टिप्पणी:
दिल को छूने वाली रचना...सुशीला जी !
~सादर!!!
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