रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
जब चमन सजाओगे
पाँवों में चुभते
काँटे भी पाओगे ।
2
मरने से कौन डरे ?
तेरी चुप्पी से
हम तो बेमौत मरे ।
3
नफ़रत क्यों पाले हैं
तुम तो मौन रहे
मेरे मन छाले हैं ।
4
कह दो क्या भूल हुई ?
फूलों -सी ममता
क्यों तुमको शूल हुई ?
-0-
7 टिप्पणियां:
सभी माहिया बहुत सुन्दर .पहला माहिया जीवन में .ख़ुशी के साथ दुःख भी होते हैं इस यथार्थ से परिचय देता है.
सुख दुःख के भावों में भीगे हुए सभी माहिया सुन्दर | बधाई एवं आभार
जब चमन सजाओगे
पाँवों में चुभते
काँटे भी पाओगे ।
सुन्दर माहिया
क्या खूब...!
मन के दर्द जैसे सबके सांझे हो...इतना गहरे तक छूते हैं...|
बधाई...|
प्रियंका
Dard se rubaru karati rachna,jisse sabka naata hota hai..achchha laga..bahut2 badhai...
दर्द को झलकाते बहुत सुन्दर माहिया।
बहुत-२ बधाई
सभी माहिया में गहरे भाव. जीने की राह बताते भाव. सच है...
जब चमन सजाओगे
पाँवों में चुभते
काँटे भी पाओगे ।
बहुत बधाई.
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