डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा
1
पक्के ही वादों से
हार सदा हारी
मज़बूत इरादों से ।
2
मौसम है हरजाई
बरखा की चाहत
सूरज ले अँगड़ाई ।
3
क़िस्मत के क़िस्से हैं-
फूल उन्हें,काँटे -
सब अपने हिस्से हैं ।
4
हर मुश्किल पार गए
पर अपने दिल के
आगे हम हार गए ।
5
समझो हर चाल सभी
ग़ैरों के आगे
कहना मत हाल कभी ।
6
तेरी मीठी बोली में
डाल गई क़िस्मत
कुछ ख़ुशियाँ झोली में ।
7
आँगन में धूप खिली
मिलनी थी रहमत
वो तेरे रूप मिली ।
7
फिर आग लगे भारी
बोएँगे दिल में
जो शक की चिंगारी।
8
जाएँगे दुख देकर
घूम रहे शातिर
चकमक पत्थर लेकर ।
9
मुट्ठी में चाह नहीं
इतनी सरल सखी
चाहत की राह नहीं ।
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9 टिप्पणियां:
मुट्ठी में चाह नहीं
इतनी सरल सखी
चाहत की राह नहीं ।
bahut sundar! bahut bahut badhai...
4
हर मुश्किल पार गए
पर अपने दिल के
आगे हम हार गए ।
सारे माहिया बहुत ही सुंदर।
इस स्नेह और सम्मान के लिए संपादक द्वय , भावना जी एवं अनिता जी के प्रति हृदय से आभारी हूँ !
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
शिकाईतों और रुसवाई से भरभूर सुंदर माहिया ।बधाई !
वाह! सभी माहिया एक से बढ़कर एक ! विशेषकर-
हर मुश्किल पार गए
पर अपने दिल के
आगे हम हार गए ।
समझो हर चाल सभी
ग़ैरों के आगे
कहना मत हाल कभी । -- यथार्थ को बयान करते हुए !
हार्दिक बधाई प्रिय सखी ज्योत्स्ना जी !
सादर/सस्नेह
अनिता ललित
'har mushkil par gaye
par apane dil ke
age ham haargaye '.sachmuch mein. jyotsna ji sabhi mahiya bahut hi achhe hain .badhai.
pushpa mehra.b
aadaraneey Kashmiri lal ji , Pushpa di evam sakhi Anita lalit ji ...
prerana bharee upasthiti ke liye bahut-bahut aabhaar !
bahut sundar mahiya jyotsna ji ....pyari v prerak pantiyaan-
हर मुश्किल पार गए
पर अपने दिल के
आगे हम हार गए । sadar naman ke saath badhai bhi -
हर मुश्किल पार गए
पर अपने दिल के
आगे हम हार गए ।
समझो हर चाल सभी
ग़ैरों के आगे
कहना मत हाल कभी ।
बिलकुल सही बात है...| सभी माहिया बहुत पसंद आए...हार्दिक बधाई...|
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