सोमवार, 27 जुलाई 2015

604



1-ज्योत्स्ना प्रदीप
1
पहले- सा ताल नहीं
वो युग बीत गया
सोनी -महिवाल नहीं।
2
अब सब कुछ बदल गया
फूलों -से दिल को
वो पल में मसल गया।
3
ये प्यार शर्ते हैं
जीवन का कर्ज़ा
हम अब तक भरते हैं।
4
अब दिल पर घाव बनें
बाहें ढीली हैं
इनमें न कसाव बनें।
5
टेका मुख बाँहों पर
नम न हुआ वो दिल
बिखरा कुछ राहों पर।
6
मन को अब होश नहीं
रस घन से बहता
मौसम पर रोष नहीं।
7
लो आया जब सावन
आँसू  ले भागा
वो छोटा -सा इक घन।
8
फिर भी कुछ बाकी है
अलकों में उलझी
बूँदें एकाकी हैं
-0-
2-शशि पाधा
1
सावन की बूँद झरी
नैनों की नदिया
कोरों से उमड़ पड़ी।
2
सागर कुछ जाने ना
नदिया के मन की
बूझे, पहचाने ना।
3
कलकल में कहने दो
बहती नदिया को
रोको ना बहने दो।
4
सागर भी मौन खड़ा
स्वागत की घड़ियाँ
प्रिय पथ पर नयन जड़ा।
5
सब लाज शर्म छोड़ी
बहती नदिया ने
निज धार इधर मोड़ी।
6
किरणें मुस्काती हैं
लहरों के धुन में
मल्हारें गाती हैं।
7
चिरबंधन की वेला
नीले अम्बर में
निशि तारों का मेला।
8
मोती अनमोल हुआ
प्रीत पिटारी का
धन से ना मोल हुआ।
-0-

15 टिप्‍पणियां:

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

पहले- सा ताल नहीं
वो युग बीत गया
सोनी -महिवाल नहीं।
Bahut Khub kaha aapne bahut bahut badhai...

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

मोती अनमोल हुआ
प्रीत पिटारी का
धन से ना मोल हुआ।
Sach ujagar karti rachna hardik badhai...

Rekha ने कहा…

घन सावन ताल नदिया लहर सागर अम्बर
रमणीय प्रकृति का वर्णन माहिया में ।
वाह जी वाह !
अति सुन्दर ।

मेरा साहित्य ने कहा…

चिरबंधन की वेला
नीले अम्बर में
निशि तारों का मेला।
bahut khoob
पहले- सा ताल नहीं वो युग बीत गया सोनी -महिवाल नहीं bahut sunder likha hai
badhai
rachana

kashmiri lal chawla ने कहा…

सुंदर चित्रन

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

बहुत सुंदर माहिया ! विशेषकर--

लो आया जब सावन
आँसू ले भागा
वो छोटा -सा इक घन।

मोती अनमोल हुआ
प्रीत पिटारी का
धन से ना मोल हुआ।

ज्योत्स्ना जी , शशि जी... आप दोनों को हार्दिक बधाई !

~सादर
अनिता ललित

Unknown ने कहा…

सारे माहिया बहुत ही अच्छे हैं .ज्योत्स्ना जी ,शशि जी बधाई.

ज्योति-कलश ने कहा…

बहुत भाव भरे माहिया ....
पहले सा ताल ,फूलों सा दिल , नैनों की नदिया ,मोती अनमोल .... अनुपम माहिया !!
ज्योत्स्ना जी एवं शशि दीदी को हार्दिक बधाई !!

Anita Manda ने कहा…

सारे माहिया बहुत ही अच्छे हैं .ज्योत्स्ना जी ,शशि जी बधाई.
मोती अनमोल हुआ
प्रीत पिटारी का
धन से ना मोल हुआ।

लो आया जब सावन
आँसू ले भागा
वो छोटा -सा इक घन।

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

ज्योत्सना जी और शशि जी भावों से परिपूर्ण सुन्दर माहिया हैं ! बधाई!

Dr. Surendra Verma ने कहा…

सभी रचनाऐ बहुत सुन्दर है शशि और ज्योत्ना जी दोनो को वधाई सुरेनदर व र्मा

Dr. Surendra Verma ने कहा…

माहिया के बारे मे मुभे अधिक जानकारी नही है लोकगीतौ मे यह एक ऐसी विधा ।है जिसे सिनेमा मे भी अपनाया गया है
।प्रस्तुत माहिया गेय और दिल को छूने वाले है
स व

Dr. Surendra Verma ने कहा…

माहिया के बारे मे मुभे अधिक जानकारी नही है लोकगीतौ मे यह एक ऐसी विधा ।है जिसे सिनेमा मे भी अपनाया गया है
।प्रस्तुत माहिया गेय और दिल को छूने वाले है
स व

Dr. Surendra Verma ने कहा…

सभी रचनाऐ बहुत सुन्दर है शशि और ज्योत्ना जी दोनो को वधाई सुरेनदर व र्मा

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

पहले- सा ताल नहीं
वो युग बीत गया
सोनी -महिवाल नहीं।
कटु सत्य को उद्घाटित करते माहिया...| हार्दिक बधाई...|

सागर कुछ जाने ना
नदिया के मन की
बूझे, पहचाने ना।
बहुत सुन्दर...बधाई...|