1-ज्योत्स्ना प्रदीप
1
पहले- सा ताल नहीं
वो युग बीत गया
सोनी -महिवाल नहीं।
2
अब सब कुछ बदल गया
फूलों -से दिल को
वो पल में मसल गया।
3
ये प्यार न शर्ते हैं
जीवन का कर्ज़ा
हम अब तक भरते हैं।
4
अब दिल पर घाव बनें
बाहें ढीली हैं
इनमें न कसाव बनें।
5
टेका मुख बाँहों पर
नम न हुआ वो दिल
बिखरा कुछ राहों पर।
6
मन को अब होश नहीं
रस घन से बहता
मौसम पर रोष नहीं।
7
लो आया जब सावन
आँसू ले भागा
वो छोटा -सा इक घन।
8
फिर भी कुछ बाकी है
अलकों में उलझी
बूँदें एकाकी हैं ।
-0-
2-शशि पाधा
1
सावन की बूँद झरी
नैनों की नदिया
कोरों से उमड़ पड़ी।
2
सागर कुछ जाने ना
नदिया के मन की
बूझे, पहचाने ना।
3
कलकल में कहने दो
बहती नदिया को
रोको ना बहने दो।
4
सागर भी मौन खड़ा
स्वागत की घड़ियाँ
प्रिय पथ पर नयन जड़ा।
5
सब लाज शर्म छोड़ी
बहती नदिया ने
निज धार इधर मोड़ी।
6
किरणें मुस्काती हैं
लहरों के धुन में
मल्हारें गाती हैं।
7
चिरबंधन की वेला
नीले अम्बर में
निशि तारों का मेला।
8
मोती अनमोल हुआ
प्रीत पिटारी का
धन से ना मोल हुआ।
-0-
15 टिप्पणियां:
पहले- सा ताल नहीं
वो युग बीत गया
सोनी -महिवाल नहीं।
Bahut Khub kaha aapne bahut bahut badhai...
मोती अनमोल हुआ
प्रीत पिटारी का
धन से ना मोल हुआ।
Sach ujagar karti rachna hardik badhai...
घन सावन ताल नदिया लहर सागर अम्बर
रमणीय प्रकृति का वर्णन माहिया में ।
वाह जी वाह !
अति सुन्दर ।
चिरबंधन की वेला
नीले अम्बर में
निशि तारों का मेला।
bahut khoob
पहले- सा ताल नहीं वो युग बीत गया सोनी -महिवाल नहीं bahut sunder likha hai
badhai
rachana
सुंदर चित्रन
बहुत सुंदर माहिया ! विशेषकर--
लो आया जब सावन
आँसू ले भागा
वो छोटा -सा इक घन।
मोती अनमोल हुआ
प्रीत पिटारी का
धन से ना मोल हुआ।
ज्योत्स्ना जी , शशि जी... आप दोनों को हार्दिक बधाई !
~सादर
अनिता ललित
सारे माहिया बहुत ही अच्छे हैं .ज्योत्स्ना जी ,शशि जी बधाई.
बहुत भाव भरे माहिया ....
पहले सा ताल ,फूलों सा दिल , नैनों की नदिया ,मोती अनमोल .... अनुपम माहिया !!
ज्योत्स्ना जी एवं शशि दीदी को हार्दिक बधाई !!
सारे माहिया बहुत ही अच्छे हैं .ज्योत्स्ना जी ,शशि जी बधाई.
मोती अनमोल हुआ
प्रीत पिटारी का
धन से ना मोल हुआ।
लो आया जब सावन
आँसू ले भागा
वो छोटा -सा इक घन।
ज्योत्सना जी और शशि जी भावों से परिपूर्ण सुन्दर माहिया हैं ! बधाई!
सभी रचनाऐ बहुत सुन्दर है शशि और ज्योत्ना जी दोनो को वधाई सुरेनदर व र्मा
माहिया के बारे मे मुभे अधिक जानकारी नही है लोकगीतौ मे यह एक ऐसी विधा ।है जिसे सिनेमा मे भी अपनाया गया है
।प्रस्तुत माहिया गेय और दिल को छूने वाले है
स व
माहिया के बारे मे मुभे अधिक जानकारी नही है लोकगीतौ मे यह एक ऐसी विधा ।है जिसे सिनेमा मे भी अपनाया गया है
।प्रस्तुत माहिया गेय और दिल को छूने वाले है
स व
सभी रचनाऐ बहुत सुन्दर है शशि और ज्योत्ना जी दोनो को वधाई सुरेनदर व र्मा
पहले- सा ताल नहीं
वो युग बीत गया
सोनी -महिवाल नहीं।
कटु सत्य को उद्घाटित करते माहिया...| हार्दिक बधाई...|
सागर कुछ जाने ना
नदिया के मन की
बूझे, पहचाने ना।
बहुत सुन्दर...बधाई...|
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