डॉ 0 सुधा गुप्ता
1
चाँद जो आया
धूमिल हुए तारे
सारे बेचारे
कोई न पूछे बात
सब चाँद निहारे ।
2
पूनो की रात
शामियाना तना है
दूध-उजला
हरी-हरी जाजम
धरती ने बिछा दी ।
3
धन्य गुलाब
रंग और खुशबू
दोनों हैं पास
जीने न देते काँटे
यही सोच उदास ।
4
भोर को देख
बुझता दीया कँपा
नींद आती है
करवट बदल
सो गया वो अचल ।
5
फूटे हैं छाले
रिस रहे हैं ज़ख़्म
रोती धरती
कोई मुझे बचाए
मरहम लगाए ।
6
कोकिल लाया
वसन्त का सन्देसा
झूमी बगिया
हवा नाचती फिरे
भँवरे गुंजारते
7
भोर वेला में
दुखा दिया हियरा
पूछे पपीहा:
कहाँ गए रे पिया
सदा भटके जिया ।
8
शैशव मधु
तरुणाई तिलिस्म
ठूँठ बुढ़ापा
काठ व पत्थर का
नीरस -सा पुतला
9
सावन-भादों
जैसे बरसे नैन
माँ है अधीर
बेटा बसा बिदेस
साथ ले गया चैन
10
होठों पे ताले
सिसकती दीवारें
सन्देश बिन
करवटें लेती रातें
जाले -लटके दिन ।
-0-