रेखा रोहतगी
1
उपवन में
होते हैं फूल काँटे
सोचो मन में
सुख औ दु:ख होते
वैसे जीवन में।
2
मुझे बचाया
गिरने से उसने
जो था पराया
आँधियों का शुक्रिया
अपनो को दिखाया ।
3
दूर हो तुम
तो मेरे मन से भी
हो जाओ गुम
तो मैं चैन से जिऊँ
औ’ चैन से मरूँ ।
4
न हुए फेरे
न थे बाहों के घेरे
तुम ना आए
नयन भरे नीर
है अनब्याही पीर ।
5
तन -पिंजरा
पंछी क्या गीत गाए
आज़ाद हो तो
साथियों से जा मिले
और चहचहाए ।
6
सींचा जड़ को
खिल उठी कलियाँ
पत्तियाँ हँसी
भौंरों ने ली हिचकी
शाख़ -शाख़ लचकी ।
7
पीली चूनर
ओढ़ इठलाए
छोरी प्रकृति
फूलों का है झूमर
हरी-हरी घाघर ।
8
धूप सेंकती
सर्दी में ठिठुरती
दुपहरियाँ
आँगन में बैठी हों
ज्यों कुछ लड़कियाँ।
9
चन्दा मछरी
गगन-सागर में
तैरती जाए
सूरज मछेरे को
देखे तो छुप जाए।
10
पलाश खड़े
लाल छाता लगाए
गर्मी में जब
जलते सूरज ने
अंगारे बरसाए।
6 टिप्पणियां:
सींचा जड़ को
खिल उठी कलियाँ
पत्तियाँ हँसी
भौंरों ने ली हिचकी
शाख़ -शाख़ लचकी ।
Bhonron ka hichki lena pryog bahut achchhaa laga...bahut2 badhai
मुझे बचाया
गिरने से उसने
जो था पराया
आँधियों का शुक्रिया
अपनो को दिखाया ।
ek sachchayi...bahut sundar, badhayi...
चन्दा मछरी
गगन-सागर में
तैरती जाए
सूरज मछेरे को
देखे तो छुप जाए।
achcha bimb hai.
सींचा जड़ को
खिल उठी कलियाँ
पत्तियाँ हँसी
भौंरों ने ली हिचकी
शाख़ -शाख़ लचकी ।
is me bhare ne li hichki kya baah hai man moh gaya
rachana
daarshanikta-se bhaav...
तन -पिंजरा
पंछी क्या गीत गाए
आज़ाद हो तो
साथियों से जा मिले
और चहचहाए ।
sabhi bahut sundar, badhai.
सींचा जड़ को
खिल उठी कलियाँ
पत्तियाँ हँसी
भौंरों ने ली हिचकी
शाख़ -शाख़ लचकी ।
bahut sunder tanka hain par yeh man ko cho gaya.
badhai
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