रश्मि शर्मा
1
तुम हो संग
मानस में हमेशा
अकेली कहाँ।
2
नाप सको तो
अथाह प्रेम मेरा
नाप लो तुम ।
3
सुप्त स्मृतियो !
मत खोलना द्वार
आत्मा बंदी है ।
4
सुख-संदेश
लेकर नहीं आता
कोई डाकिया।
5
निकल भागे
आत्मा की सुराख़ से
सारे अपने ।
6
स्मृति -भूमि को
बहुत कठिन है
मुड़के देखना ।
7
तुम बदन
परछाईं हूँ तेरी
कैसी जुदाई?
8
वादे नाकाम
दहका आसमान
आज की शाम ।
9
खिल उठे हैं
उजड़े दयार में
फूल फिर से ।
10
बंद नैनों में
जला लिए हमने
यादों के दीप।
11
मैं नहीं अब
किसी के भी दिल में
वो अब भी है।
12
उसकी याद
आँसू के साथ-साथ
लाए मुस्कान ।
13
धूप का स्पर्श
बेचैनियाँ सोखता
मन जोड़ता ।
14
उसे पता था -
मिलने से टूटेगा
सब्र का बाँध ।
15
ज़ख़्म ताज़ा हैं
सुनी होगी किसी से
वफ़ा की बातें।
16
सब गवाँ के
अब इंतज़ार में
बैठा है कोई ।
17
प्रेम ने कहा
बने रहो हमेशा
जैसे हो वैसे।
18
कपड़े नए
है वही दुःख और
वही उदासी ।
19
फैल गई हैं
मुट्ठी भर ख़ुशियाँ
कोई आया है ।
20
खिड़की खुली
झाँका लिया जीवन
पढ़ी किताब।
21
चितकबरी
लगती है ज़िंदगी
तुम जो नहीं