1-मंजूषा मन
1
लिख दे प्रेम
अंतिम निर्णय-सा
तोड़ कलम।
2
प्रेम पुस्तक
कर दे हस्ताक्षर
अंतिम पृष्ठ।
3
ऋतु ने ओढ़ी
कोहरे की चादर
नर्म धवल।
4
बाहें समेटे
उकड़ू बैठे पेड़
सर्दी से डरें।
5
ओस के मोती
पत्तों पर ठहरे
चमकें हीरे।
6
किरचें बनीं
यादें बनके चुभीं
ओस की कनी।
-0-
2-आशा बर्मन
1.
फूल चन्दन
प्रार्थना व पूजन
हो शुद्ध मन
2
झर निर्झर,
संगीतमय स्वर
आनंद भर
3
हरित पात
रिमझिम बरखा
सद्यस्नात सा
4
फैला आकाश,
मुक्ति का एहसास
उड़ता पाखी
5
उदास मन
वेदनामय क्षण
अकेलापन
6
चल निकला
तर्कों का सिलसिला
कुछ न मिला
-0-
8 टिप्पणियां:
सुंदर हाइकु , बधाई ।
रमेश कुमार सोनी , बसना
सुंदर हाइकु , बधाई ।
रमेश कुमार सोनी , बसना
बहुत सुंदर सभी हाइकु...मंजूषा जी, आशा जी को हार्दिक बधाई।
आशा बर्मन जी आपका हाइकु परिवार में हार्दिक स्वागत है।
सुंदर सृजन...
हार्दिक शुभकामनाएँ मंजूषा जी एवं आशा जी ।
मन जी और आशा जी के बहुत सुन्दर , भावमय हाइकु । बधाई दोनोें को ।
बहुत सुन्दर हाइकु ।बहुत-बहुत बधाई आप दोनों को ।
बहुत प्यारे हाइकु...आप दोनों को बहुत बधाई...|
सभी हाइकु सुंदर भाव भूमि पर लिखे गये हैं आशा जी का हाइकु 'चल निकला \तर्कों का सिलसिला \कुछ न मिला| विशेष अनसुलझी समस्या ग्रस्त पृष्ठभूमि को दर्शाता हुआ अच्छा लिखा गया है ,दोनों को हार्दिक बधाई |
पुष्पा मेहरा
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