नवरात्र की तृतीया तिथि माँ के चन्द्रघण्टा रूप के अर्चना-साधना की
तिथि है। भगवान शिव के साथ विवाह के बाद देवी महागौरी ने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण
किया इसलिए उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। देवी के इस रूप की आराधना करने से जीवन में उन्नति, धन, स्वर्ण, ज्ञान व शिक्षा की प्राप्ति होती है।
माँ चंद्रघंटा को कनेर का फूल
अत्यंत प्रिय है। माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से साहस बढ़ता है और भय से
मुक्ति मिलती है। माँ चन्द्रघण्टा को नमन एक सेदोका के माध्यम से।
डॉo शिवजी श्रीवास्तव
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चन्द्रघण्टा माँ
शिव अनुरंजिनी
धारे हैं अर्द्ध चन्द्र,
हरें बाधाएँ
ज्ञान दें समृद्धि दें
भक्तों के क्लेश हरें!
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9 टिप्पणियां:
जय माता दी!माँ की महिमा गाता अनुपम, दिव्य सेदोका। बधाई स्वीकारें भाई साहब।
हार्दिक धन्यवाद प्रीति जी
माँ की स्तुति में बहुत सुंदर सेदोका।बधाई
माँ को नमन करते हुए सुन्दर सेदोका |बधाई |
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 3.10.2019 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3477 में दिया जाएगा
धन्यवाद
बहुत सुंदर। जय माता दी।
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वगात है।
iwillrocknow.com
भक्ति भाव पूर्ण सुन्दर सेदोका । बधाई ।
बहुत सुन्दर
सादर
बहुत सुन्दर सेदोका ....बधाई आपको |
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