डॉoजेन्नी शबनम
1.
सुख समृद्धि
दीये कहते।
2.
मन से देता
सकारात्मक ऊर्जा
माटी का दीया।
3.
दीयों की जोत
दसों दिशा उर्जित
मन हर्षित।
4.
अमा की रात
जगमगाते दीप
ज्यों हो पूर्णिमा !
5.
धरा ने ओढ़ा
रोशनी का लिहाफ
जलते दीये।
6.
दिवाली दिन
सजावट घर-घर
फैला उजास।
7.
बंदनवार
स्वागत व सत्कार
लक्ष्मी प्रसन्न।
-0-
2-मंजूषा मन
1
2-मंजूषा मन
उजियारे बोए हैं,
हमने दीपक बन
अँधियारे धोए हैं।
2
हर तरफ उजाला है,
बाती दीपक का
यह काम निराला है।
3
हम दीप जलाएँगे,
गहन अँधेरे का
साम्राज्य मिटाएँगे।
4
ये जीत न पाएगा,
छाया अँधियारा
पल में मिट जाएगा।
5
इक दीप जलाएँगे,
मन में पसरा जो
अँधियार मिटाएँगे।
-0-
4 टिप्पणियां:
मेरे माहिया प्रकाशित करने के लिए हार्दिक आभार सर
जेन्नी जी बड़े ही मनमोहक हाइकु!
मंजूषा जी दीवाली की ऊर्जा लिए बेहतरीन माहिया!
आप दोनों को बधाई और दिवाली की शुभकामनाएं!
जेन्नी जी के हाइकु बहुत सुंदर हैं
हार्दिक बधाई
दीपावली से जगमगाते हाइकु के लिए आपको बहुत बधाई...|
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