रविवार, 30 जून 2013

विश्वास छले

रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
नदिया को तीर मिले
साथ चले फिर भी
धारा की पीर मिले ।
2
दो पल को साथ रहे,
फिर परदेस गए
हमने सब दर्द सहे  ।
3
तुझको कब ज्ञान रहा-
द्वार खड़ा तेरे
भूखा भगवान रहा ।
4
आँधी का तिनका है,
जीभर प्यार करो
जीवन दो दिन का है ।
5
ये दोष न  सपनों का
है विश्वास छले
जीवन में अपनों का ।

-0-

मंगलवार, 25 जून 2013

टूटे पहाड़


सुदर्शन रत्नाकर

काली थी रात
हुई जो बरसात
निगल गई
सूनी हुईं वादियाँ
टूटे पहाड़
उफनती नदियाँ
बहा ले गईं
जहाँ मौत थी खड़ी
बाँहें पसारे
कितनी भयावह !
अपने छूटे
नज़रों के सामने
बहते
कैसी आपदा
सूझता नहीं रास्ता
किसे पुकारें ?
जीवन जहाँ कल
अगले पल
पसरा है सन्नाटा
आँखें खोजतीं
लहरों की गोद में
छूटे जो साथी
चेत जाओ मानव !
प्रकृति देती
छेड़छाड़ करो तो
 वू ले भी लेती
कैसा है ज़लज़ला
ले गया ज़िंदगियाँ   ।
-0-


सोमवार, 24 जून 2013

छूना मन

1-माहिया
डॉ सरस्वती माथुर
1
हौले से छूना मन
यादों में तेरी
सूना मेरा आँगन l
2-ताँका
राजीव नामदेव'राना लिधौरी’
1

बढ़ती आशा,
पढ़ली जिसने भी,
आँखों की भाषा,
अन्तर्मन में जन्मी
फिर ये अभिलाषा।। 
2
प्रेम की कड़ी,
विश्वास से जोड़िए,
सत्य खोजिए,
मन की शांति मिले,
कड़ी मत तोड़िए ।
-0-

शुक्रवार, 21 जून 2013

सावन भरमाया है ।

अनुपमा त्रिपाठी
1
हरियाली छाई है
वर्षा की बूँदें
कुछ यादें लाई हैं  ।
2
कोई न  कहानी है
मेरे  मन में भी
इक  प्रीत  सुहानी है ....
3
ये चंचल -सी किरणें
मन भी जाग उठा
जब  प्रीत लगी खिलने ।
4
प्रियतम घर आया है
आँसू खुशियों के ,
सावन भरमाया है ।
5
तुम अब घर आ जाओ
साँझ घिरी कैसी !

सब  पीर मिटा जाओ ।

उजियार करें

डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
"ये गीत-रुबाई हैं 
आज दिशाओं में 
बजती शहनाई हैं |"
2
देखो, उजियार करें 
दीपक औ' बाती 
जब तक हम नेह भरें !
3
हैं फूल वफ़ाओं के 
लब पर बोल रहे 
दिन-रैन दुआओं के !
4
उठकर यूँ झुक जाएँ 
सजल  नयन तेरे ,
राही ज्यों रुक जाएँ !
5
लो अपने डाल गया 
आँखों में कोई 
कुछ सपने डाल गया !
6
पाहन पर दूब उगी 
'मेल ' मिली हमको 
उनकी कल प्रीत पगी

-0-

बुधवार, 19 जून 2013

तुझ पर ही वारेंगे

रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
जो सीधी राह चले
मौका मिलते ही
तुमने वो मीत छले ।
2
हरदम रोना-धोना
माटी कर डाला
जीवन का सब सोना ।
3
माना हम हारेंगे
जो भी साँस मिली
तुझ पर ही वारेंगे ।
4
ये प्राण नहीं लेते
विषधर तुम कैसे ?
मरने भी ना देते ।
5
सपने हैं , टूटेंगे
कोई और नहीं
अपने ही लूटेंगे ।
6
हर पल अनुताप सहे
बीते दिन सारे
बन करके साँप रहे ।
7
तुमसे यह आस रही
बोल सुधा- जैसे
इतनी भर प्यास रही ।
8
ईश्वर तो मिल जाए
सच्चा प्यार करे
वह मीत न मिल पाए ।
9
सत्ता में चूर रहे
जनता  से नेता
ये  कोसों दूर रहे ।
10
घर ना कोई छूटा
धरती से लेकर
पाताल तलक लूटा ।
11
निर्धन बेहाल हुए
जनहित का धोखा-
दे मालामाल हुए  ।
-0-




रविवार, 16 जून 2013

लहरों की चूड़ियाँ

सेदोका 
कृष्णा वर्मा
1
छुआ हवा के
हाथों ने हौले से
नदिया के नीर को,
बज उठी हैं
नदी की कलाई में
लहरों की चूड़ियाँ।
2
भोले फूलों से
ये चंचल हवाएं
करती हैं गुफ्तगू
खुश्बु चुराएँ
महकती- डोलतीं
क्या शोख़ हैं अदाएँ
3
रंगीं मौसम
हवा सनसनाए
मधुर गीत गाए
दाद दें डालें
पत्तों की महफिल
वाह-वाह चिल्लाएँ
4
चले पवन
खग -पल्लव उड़ें
करने को भ्रमण
ढूँढें प्रवास
थकके पाते चैन
दूब गलीचे पर।
5
ठंडी हवा के
मखमल- से हाथ
हरते अवसाद
पोंछे पसीना
दे अदृश्य रूमाल
समीर का कमाल।

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शुक्रवार, 14 जून 2013

मिलने को तरसे हम

डॉ सरस्वती माथुर
1
हैं यादें रंगीली
उड़ के आई हैं
हैं बिन बरसे गीली l
2
मिलने को तरसे हम
यादें आई तो
निकले फिर घर से हम l
3
है मन की लाचारी          
मिलना तुझसे  भी 
लगता  है अब  भारी l
4
मन के घट हैं रीते   
तेरे बिन सजना
दिन अब कैसे बीतें ? 
5
मन का पाखी चहका
तेरी यादों से
दिल रहता है महका l

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बुधवार, 12 जून 2013

बालक रोया

ऋता शेखर 'मधु'
1
बालक रोया
बस्ता चाहिए उसे
पिता मजबूर
दिल किया पत्थर
बनाया मजदूर
2
कोमल हाथ
चुभ गया था काँच
बहना रोई
भइया आँसू पोंछे
दोनो  बीनें कचरा ।
3
दिल के धनी
राजा औ' रंक बच्चे
देख लो फ़र्क
एक खरीदे जूता
पॉलिश करे दूजा
4
गार्गी की बार्बी
कमली ललचाई
माँ ने पुकारा
बिटिया, इधर आ
बर्तन माँज़रा
5
कठोर दिल
कैसी माता है वह
काम की भूखी
बेटी को देती मैगी
कम्मो को रोटी सूखी ।

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गुरुवार, 6 जून 2013

तन्हाँ इक फूल रहा

भावना कुँअर
1
तुम बरसों बाद मिले-
मन के तार छिड़े
सारे  ही ज़ख़्म सिले।
2
तुमसे छुप-छुप  मिलना-
था आभास हुआ
मन - बेला  का  खिलना।
3
तन्हाँ  इक फूल रहा,
मिलकर खुशबू से
करता  फिर भूल   रहा।
4
यूँ  रूठ चले जाना
है आसान बहुत,
मुश्किल  बहुत निभाना

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