भावना कुँअर
1
तुम बरसों बाद
मिले-
मन के तार
छिड़े
सारे ही
ज़ख़्म
सिले।
2
तुमसे छुप-छुप मिलना-
था आभास हुआ
मन - बेला का खिलना।
3
तन्हाँ इक
फूल रहा,
मिलकर खुशबू से
करता फिर भूल रहा।
4
यूँ रूठ
चले
जाना
है आसान बहुत,
मुश्किल बहुत निभाना ।
-0-
8 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर भाव पूर्ण माहिया हैं ..
तन्हाँ इक फूल रहा,
मिलकर खुशबू से
करता फिर भूल रहा।....बहुत प्यारा !!
बधाई और शुभ कामनाएँ
ज्योत्स्ना शर्मा
जीवन दर्शन के यथार्थ को दर्शाते बेमिसाल माहिया .
हार्दिक बधाई .
सुन्दर अभिव्यक्ति..बधाई
yun rooth chale jaana, hai aasaan bahut, mushkil bahut nibhaana
bahut sundar panktiyan, badhaai
pushpa mehra
sundar :)
यूँ रूठ चले जाना
है आसान बहुत,
मुश्किल बहुत निभाना ।
kitni sahi baat hai kisi bhi chij ko chhodna bahut kathin hota hai nibhana bahut mushkil
badhai
rachana
बहुत प्यारे माहिया हैं...दिल के तार छेड़ जाते हैं जैसे...|
तन्हाँ इक फूल रहा,
मिलकर खुशबू से
करता फिर भूल रहा।
बहुत बधाई...|
प्रियंका
सुमधुर माहिया। बधाई भावना जी सुंदर लेखन के लिए।
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