शुक्रवार, 21 जून 2013

सावन भरमाया है ।

अनुपमा त्रिपाठी
1
हरियाली छाई है
वर्षा की बूँदें
कुछ यादें लाई हैं  ।
2
कोई न  कहानी है
मेरे  मन में भी
इक  प्रीत  सुहानी है ....
3
ये चंचल -सी किरणें
मन भी जाग उठा
जब  प्रीत लगी खिलने ।
4
प्रियतम घर आया है
आँसू खुशियों के ,
सावन भरमाया है ।
5
तुम अब घर आ जाओ
साँझ घिरी कैसी !

सब  पीर मिटा जाओ ।

7 टिप्‍पणियां:

Pushpa mehra ने कहा…

priy ka aagaman woh bhi varsha ritu mein umang bhari khusian lata hai. varsha ke mausam mein prem ras ka anootha bhav man ko rang deta hai. bahut sundar. badhai.

pushpa mehra

Krishna ने कहा…

प्रियतम घर आया है
आँसू खुशियों के ,
सावन भरमाया है ।
बहुत सुन्दर माहिया अनुपमा जी बधाई!

Anupama Tripathi ने कहा…

आभार भैया ,आभार हरदीप जी ......माहिया यहाँ देने के लिए ....!!

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

प्रियतम घर आया है
आँसू खुशियों के ,
सावन भरमाया है ।
वाह...बहुत सुंदर...बधाई अनुपमा जी !

ज्योति-कलश ने कहा…

सुन्दर मधुर माहिया ....

ये चंचल -सी किरणें
मन भी जाग उठा
जब प्रीत लगी खिलने ।...बहुत खिला खिला ...बधाई आपको !
ज्योत्स्ना शर्मा

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

तुम अब घर आ जाओ
साँझ घिरी कैसी !

सब पीर मिटा जाओ ।
ये विरह-वेदना बहुत खूबसूरती से व्यक्त हुई है...|
खूबसूरत माहिया के लिए बधाई...|
प्रियंका

sushila ने कहा…

सभी माहिया सुंदर ।

प्रियतम घर आया है
आँसू खुशियों के ,
सावन भरमाया है ।

अनुपमा जी बधाई!

Reply