सेदोका
कृष्णा वर्मा
1
छुआ हवा के
हाथों ने हौले से
नदिया के नीर को,
बज उठी हैं
नदी की कलाई में
लहरों की चूड़ियाँ।
2
भोले फूलों से
ये चंचल हवाएं
करती हैं गुफ्तगू
खुश्बु चुराएँ
महकती- डोलतीं
क्या शोख़ हैं अदाएँ।
3
रंगीं मौसम
हवा सनसनाए
मधुर गीत गाए
दाद दें डालें
पत्तों की महफिल
वाह-वाह चिल्लाएँ।
4
चले पवन
खग -पल्लव उड़ें
करने को भ्रमण
ढूँढें प्रवास
थकके पाते चैन
दूब गलीचे पर।
5
ठंडी हवा के
मखमल- से हाथ
हरते अवसाद
पोंछे पसीना
दे अदृश्य रूमाल
समीर का कमाल।
-0-
6 टिप्पणियां:
सुन्दर सदोका ....
wahh bahut khub sabhi tanke ek se badh ke ek
ठंडी हवा के
मखमल- से हाथ
हरते अवसाद
पोंछे पसीना
दे अदृश्य रूमाल
समीर का कमाल।
:)
सभी सेदोका एक से एक बढ़िया, काव्यात्मक और सरस। बधाई कृष्णा वर्मा जी !
सभी सेदोका सुन्दर ...
रंगीं मौसम
हवा सनसनाए
मधुर गीत गाए
दाद दें डालें
पत्तों की महफिल
वाह-वाह चिल्लाएँ।...बहुत सुन्दर ..क्या बात है !
सभी सेदोका सुन्दर ...
रंगीं मौसम
हवा सनसनाए
मधुर गीत गाए
दाद दें डालें
पत्तों की महफिल
वाह-वाह चिल्लाएँ।...बहुत सुन्दर ..क्या बात है !
रंगीं मौसम
हवा सनसनाए
मधुर गीत गाए
दाद दें डालें
पत्तों की महफिल
वाह-वाह चिल्लाएँ।
बहुत सुन्दर...सभी सेदोका अच्छे लगे...बधाई...|
प्रियंका
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