डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
"ये गीत-रुबाई हैं
आज दिशाओं में
बजती शहनाई हैं |"
2
देखो, उजियार करें
दीपक औ' बाती
जब तक हम नेह भरें !
3
हैं फूल वफ़ाओं के
लब पर बोल रहे
दिन-रैन दुआओं के !
4
उठकर यूँ झुक जाएँ
सजल नयन तेरे ,
राही ज्यों रुक जाएँ !
5
लो अपने डाल गया
आँखों में कोई
कुछ सपने डाल गया !
6
पाहन पर दूब उगी
'मेल ' मिली हमको
उनकी कल प्रीत पगी
-0-
9 टिप्पणियां:
jahan prem hai wahan sapne to palenge hee. aap ke sare mahiyaa prem bhari aankhon mein sapne sanjoye hue hain. Bahut sundar bhav. badhai
pushpa mehra
पाहन पर दूब उगी
'मेल ' मिली हमको
उनकी कल प्रीत पगी
खूबसूरत माहिया ज्योत्स्ना जी बधाई!
पाहन पर दूब उगी
'मेल ' मिली हमको
उनकी कल प्रीत पगी
वाह...बहुत खूब...ज्योत्सना जी को सादर बधाई !!
आँखों में कोई
कुछ सपने डाल गया !
wah ... kitni khoobsurat baat kahi aapne Jyotsana ji ...
Manju
www.manukavya.wordpress.com
आ Pushpa Mehra जी ,Krishna जी ,ऋता शेखर मधु जी एवं Manju Mishra जी ...ह्रदय से आभारी हूँ मेरी अभिव्यक्ति को आपका स्नेह मिला ...:)
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
प्रेम-पगे इन खूबसूरत माहिया के लिए बहुत बधाई...|
प्रियंका
बहुत सुन्दर लेखन है आपका ज्योत्सना जी !
"ये गीत-रुबाई हैं
आज दिशाओं में
बजती शहनाई हैं |"
अति सुन्दर।
khoobsurat mahiya jyotsana ji badhai aapko prem ras ke mahiya .man bha gaye
स्नेहमयी उपस्थिति के लिए बहुत बहुत आभार ..प्रियंका जी ,सुशीला जी एवं शशि जी !
सादर ...सस्नेह
ज्योत्स्ना शर्मा
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