ऋता शेखर 'मधु'
1
बालक रोया
बस्ता चाहिए उसे
पिता मजबूर
दिल किया पत्थर
बनाया मजदूर ।
2
कोमल हाथ
चुभ गया था काँच
बहना रोई
भइया आँसू पोंछे
दोनो बीनें कचरा ।
3
दिल के धनी
राजा औ' रंक बच्चे
देख लो फ़र्क
एक खरीदे जूता
पॉलिश
करे दूजा ।
4
गार्गी की बार्बी
कमली ललचाई
माँ ने पुकारा
बिटिया, इधर आ
बर्तन माँज ज़रा ।
5
कठोर दिल
कैसी माता है वह
काम की भूखी
बेटी को देती मैगी
कम्मो को रोटी सूखी ।
-0-
7 टिप्पणियां:
भावपूर्ण ताँका की सुन्दर प्रस्तुति ऋता शेखर जी बधाई।
मार्मिक प्रस्तुति ऋता जी ...
बहुत सुंदर तांका
यहाँ पर स्थान देने के लिए सादर आभार...
कृषणा जी...अनुपमा जी...शुक्रिया:)
कोमल हाथ
चुभ गया था काँच
बहना रोई
भइया आँसू पोंछे
दोनो बीनें कचरा ।
uf kitna marmik sunder chitran kiya hai aapne
rachana
बहुत मार्मिक...भावप्रवण...बधाई...|
प्रियंका
बहुत सुन्दर भाव भरे ताँका ...बहुत बधाई !
ज्योत्स्ना शर्मा
कोमल हाथ
चुभ गया था काँच
बहना रोई
भइया आँसू पोंछे
दोनो बीनें कचरा ।.....सुन्दर भाव
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