मौसम
1-शशि पाधा
1
कैसा घोटाला है
किरणें बेरंगी
नभ काला काला है ।
2
बादल के दोने में
दुबका बैठा है
सूरज उस कोने में ।
3
दिन रीते- रीते हैं
पीली धूप बिना
दिन फीके-फीके हैं ।
4
ये धरती पगलाई
घर घर ढूँढ रही
पहली -सी तरुणाई।
5
कैसा अंधेरा है
अम्बर गलियों में
किस ग्रह का डेरा है ।
7
पछुआ जब झूल गई
घर के रस्ते को
पुरवाई भूल गई ।
8
कैसा कुहराम मचा
धूप सहेली बिन
सर्दी का ब्याह रचा ।
9
गहरी धुँधलाहट में
पंछी काँप रहे
कितनी झुँझलाहट में ।
10
कुछ कम तैयारी थी
मौसम की बाजी
सूरज ने हारी थी ।
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2-डॉ. सरस्वती माथुर
1
बासंती मन बूटे
लागे ना है मन
दर्द बँधें जो खूँटे ।
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