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बुधवार, 15 मार्च 2017

755



डॉ सरस्वती माथुर 
1
तेरे बिन जीना है
फागुन में सजना
यादों को पीना है।
2
वो बात नहीं करते 
फिर भी देखो तो
हम उन पर ही मरते। 
3
पल -पल मन जलता है
नैनों में सपना
तेरा ही पलता है।
-0-

बुधवार, 15 फ़रवरी 2017

753



मौसम
1-शशि पाधा
1
कैसा घोटाला है
किरणें बेरंगी
नभ काला काला है ।
2
बादल के दोने में
दुबका बैठा है
सूरज उस कोने में ।
3
दिन रीते- रीते हैं
पीली धूप बिना
दिन फीके-फीके हैं ।
4
ये धरती पगलाई
घर घर ढूँढ रही
पहली -सी तरुणाई।
5
कैसा अंधेरा है
अम्बर गलियों में
किस ग्रह का डेरा है ।
7
पछुआ जब झूल गई
घर के रस्ते को
पुरवाई भूल गई ।
8
कैसा कुहराम मचा
धूप सहेली बिन
सर्दी का ब्याह रचा ।
9
गहरी धुँधलाहट में
पंछी काँप रहे
कितनी झुँझलाहट में ।
10
कुछ कम तैयारी थी
मौसम की बाजी
सूरज ने हारी थी ।
-0-
2-डॉ. सरस्वती माथुर
1
बासंती मन बूटे
 लागे ना है मन
 दर्द बँधें जो खूँटे ।
-0-

शुक्रवार, 25 नवंबर 2016

745



माहिया
1-सुदर्शन रत्नाकर
1
बिन मौसम सावन है
रिश्ता  ये अपना
पूजा-सा पावन है 
2
बिन सावन घन बरसे
पुत्र विदेश गया
माँ की आँखें तरसें 
3
मेघा ना बरसे हैं
सूख गई धरती
बिन पानी तरसे है ।
4
चाँदी-सी रातें हैं
आ मिल बैठ करें
दिल में जो बातें हैं।
5
मिसरी की डलियाँ हैं
खिलने दो इनको
कोमल ये कलियाँ हैं।
6
हर घाट लगा पहरा
मोती लाएगा
साहस जिसका गहरा  
7
महलों में रहते हैं
वो कैसे जाने
निर्धन दुख सहते हैं।
8
कंचन- सी काया है
मत अभिमान करो
पल भर की माया है।
9
सागर की लहरें हैं
कैसे टूटें वो
रिश्ते जो गहरे हैं।
10
सुख -दुख तो छाया है
सब कुछ सह ले तू
प्रभु की यह माया है।
11
खिलती ना कलियाँ हैं
आन मिलो सजना
सूनी सब गलियाँ हैं।
12
ऐसा क्यों होता है
बचपन को देखो
पटरी पर सोता है।
13
माना दुख सहती है
सागर से मिलने
पर नदिया बहती है।
14
दिल की ये बातें हैं
दिन तो कट जाता
कटती नहीं रातें हैं।
15
ममता की तू छाया
तेरे आँचल में
सारा ही सुख पाया।
-0-

2-डॉ.सरस्वती माथुर
1
मन मेरा बावरिया
चाँद निकल आया
आजा अब साँवरिया ।
2
तारे नभ में आए
मन के द्वारे पर
बीते पल के साए।
3.
है मन मेरा भारी
साजन की यादें
लगती मुझको आरी
4
मन तो एक धागा है
परदेसी बलमा
कोठे पर कागा है ।
5
कोयल काली बोली
मौसम बीत गए
पर प्रीत नहीं डोली ।
-0-

3-श्वेता राय

1
छलकेँ अँखियाँ कारी
हिय में जब चलती
यादों की पिचकारी ।
2
अम्बर की अँगड़ाई
नित -नित भरती है
धरती में तरुणाई।
3
बदरी अब आ जाओ
प्यासी है धरती
इसको मत तरसाओ।
4
दिल की ये हसरत है
भर लूँ बाँहों में
प्यारी जो सूरत है।
5
जीने की ताकत है
दिल में जो बसती
यादों की रंगत है।
5
रितु पावस की आई
बूँदों को छू कर
बहकी है तरुणाई
-0-