1-ताँका
1
जीवन तेरा
निर्मल जल- धारा
बहता रह
जग है तेरा सारा
हो विस्तार किनारा ।
2
माँ मत रूठो
मैं हूँ बालक प्यारा
आँखों का तारा
थोड़ा हूँ नटखट
पर राजदुलारा ।
-0-
2-(चोका)
सुनीता काम्बोज
काली चादर लिये
फिरती रही
रँगरेज न मिला
रँग दे इसे
लाल,नारंगी,हरा
दर्पण देखा
अचरज क्यों हुआ
जानती थी वो
काले रंग पर क्या
चढ़ पाया है
कोई दूसरा रंग
कुदरत ने
उस पर सजाए
स्वर्णिम तारे
रात खिलखिलाई
तृप्ति मन ने पाई।
-0-