सोमवार, 24 अप्रैल 2017

760

1-ताँका
डॉ.सुषमा गुप्ता 
डॉ.सुषमा गुप्ता
1
जीवन तेरा
निर्मल जल- धारा
बहता रह
जग है तेरा सारा
हो विस्तार किनारा ।
2
माँ मत रूठो
मैं हूँ बालक प्यारा
आँखों का तारा
थोड़ा हूँ नटखट
पर राजदुलारा ।
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2-(चोका)
सुनीता काम्बोज

 काली ये रात
काली चादर लिये
फिरती रही
रँगरेज न मिला
रँग दे इसे
लाल,नारंगी,हरा 
दर्पण  देखा 
अचरज क्यों हुआ
जानती थी वो
काले रंग पर क्या
चढ़ पाया है
कोई दूसरा रंग
 कुदरत ने 
उस पर सजाए
स्वर्णिम तारे
रात खिलखिलाई
तृप्ति मन ने पाई।

-0-

मंगलवार, 18 अप्रैल 2017

759

राजेश काम्बोज 
1.


कैसी मजबूरी है
मिलती ना छाया 
तरुवर से दूरी है ।
2.
पानी भर गागर से
प्यास बुझा लेगी
नदिया मिल सागर  से ।
3.
जीवन संगीत हुआ
यौवन आया तो
हर कोई मीत हुआ
4.
कलियाँ जब मुस्काई 
मेहनत माली की
रंगत फिर से लाई ।

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सोमवार, 10 अप्रैल 2017

758

1-विभा रश्मि
1
लहराता नद गाए 
तट हैं रेतीले
सोनल उनके साए 
2
झीलों का नीला जल
उतरे परबत  भी
जल में होती  हलच
3
बादल की नैया है
घूमे हैं परियाँ
पिय इंद्र खिवैया है
4
बरखा धीरे आना
जितना पास बचा 
सूनापन ले जाना
5
मीठी सी मनुहारें
छुटपन की यादें
वो भोली तकरारें
6
झिलमिल पानी चिलके
नदिया का दिल भी
खुश लाली से  मिलके
7
गोरी तो तितली है 
देखे साजन को
पनघट पे फिसली है
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 2- सुनीता काम्बोज
1
हर आखर में तू है
चिट्टी से आती
गाँवों की खुशबू है ।
2
तारों की रात नहीं
तंग शहर में वो
गाँवों- सी बात नहीं
3
बस नेह बरसता है
गाँवो में अब भी
अपनापन बसता है ।

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गुरुवार, 6 अप्रैल 2017

757

सुशीला शिवराण
1.
आज छज्जे पे
चहकी है ज़िंदगी
मुद्दतों बाद
खिल उठा एकांत
पाकर एक संगी।      
2.
आशा की डोरी !
तुम टूट न जाना
सोए सपने
ले रहे हैं जम्हाई
जीवन पलने में।
3.
टूटी भी नहीं
बात बनी भी नहीं
भ्रम ने पाले
जलती सड़कों पे
कुछ भीगे सपने।
4.
यूँ ही अक्सर
छू लेती हूँ अक्षर
तेरी यादों के
यूँ भी छुआ है तुझे
हाँ, यूँ जिया है तुझे।
       

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