हाइबन / कृष्णा वर्मा
स्नोफॉल (कनाडा)
कनाडा की लम्बी सर्दी में दिसम्बर माह से और
कभी-कभी तो नवम्बर माह से ही स्वभाविक रूप से बर्फ़ गिरने लगती है। कमरे की खिड़की
से बर्फ़ के नर्म फाहों को गिरता देखकर मन खुशी से गुदगुदा जाता है। कई बार अपनी
बालकनी में खड़े हो कर इन मखमली फुहारों का आनन्द लिया है। प्रकृति भी क्या चीज़
है जो बिना कुछ कहे ईश्वर के कितना क़रीब कर देती है। सर्दी के मौसम में यह आए दिन
का मामूल है थोड़ी देर बर्फ़ पड़ती है, बादलों की ओट से जैसे ही सूरज झाँकता है, पानी-पानी होकर बर्फ़ धरती में
समा जाती है। जिस दिन जमकर पड़ती है, उस दिन धरती का चप्पा-चप्पा दूधिया सफ़ेद मोटी परत से ढक जाता
है। चाँदी- सी चमकती रातें, पेड़ों की नाज़ुक टहनियों पर, डालों की पीठ पर, पत्तों की हथेलियों पर जमी बर्फ़, छत्तों और छज्जों पर लटकती बर्फ़
की झालरें देखकर किसी और ही लोक की प्रतीति होती है। कितना अनूठा दृश्य होता है, जब सूरज की किरणें पड़ते ही चारों ओर हीरे की
कणियों सा दमक उठता है ! ऐसा
लगता है- जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आया हो। बच्चों की
खुशी का तो ठिकाना नहीं रहता। स्नोसूट, बूट, हैट, दस्ताने पहनकर कड़कती ठंड में
बर्फ़ से खेलना उन्हें बहुत भाता है। हाथ- मुँह भले लाल सुर्ख़ हो जाएँ,
पर बर्फ़ के गोले बनाकर खेलना, घर, पुतले और टॉवर बनाने का आनन्द उठाने से नहीं चूकते। पिछले सप्ताह तो हद ही हो गई। जाने बादलों ने
किससे ज़िद ठान ली थी। ऐसी तूफ़ानी बर्फ़बारी हुई कि हफ़्ता
भर थमने का नाम ही नहीं लिया। बर्फ़ से अँटे रास्ते रुक गए, गाड़ियाँ पूरी तरह से ढक गईं और
जाम हो गईं, स्कूल
कॉलेज बंद हो गए। सड़कों पर यातायात अवरुद्ध हुआ। फिसलन से कितनी ही दुर्घटनाएँ
हुईं। कुछ घरों के तो वेंट तक बंद हो गए। हीटिंग बेअसर हो गई। आँगनों से बर्फ़
हटाते- हटाते लोगों की कमरें दोहरी हो गईं। मेरे घर की बालकनी में भी इतनी ऊँची बर्फ़ थी कि आधे- आधे
दरवाज़े ढक गए
थे। क़ुदरत के खेल भी निराले हैं, क्या भरोसा कब क्या कर दे, कैसा खेल दिखा दे। इंसानों की तरह प्रकृति के भी कई रूप होते हैं।
जितने ख़ूबसूरत, उतने
ख़तरनाक भी।
1
हिम के झारे
रजत धरा पर
स्वर्ग नज़ारे।
2
प्रकृति खेल
जाने कब रोक दे
जीवन रेल।
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8 टिप्पणियां:
बहुत संदर हाइबन। हार्दिक बधाई आपको ।सुदर्शन रत्नाकर।
बहुत खूबसूरत दृश्य। सुन्दर हाइबन के लिए बधाई कृष्णा जी
बहुत सुंदर दृश्य उकेरता हाइबन आ. कृष्णा दीदी!
~सादर
अनिता ललित
सुंदर हाइबन। मौसम की सुंदरता और दुश्वारियां; यही जीवन हैं। बधाई।
बहुत सुन्दर हाइबन
बहुत सुंदर हाइबन,बधाई कृष्णा जी।
अहा बहुत ही शानदार लिखा है आपने ।
हार्दिक बधाई आपको।
बहुत सुन्दर विवरण कृष्णा जी, हार्दिक बधाई l
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