शनिवार, 1 मार्च 2025

1209

 

 

तुम बहुत याद आओगे

 प्रियंका गुप्ता

 


उस रात जाने क्यों मन थोडा उदास- सा था...अजीब सी बेचैनी। बहुत सारी बातें थी मन में, पर समझ नहीं आ रहा था कि बेचैनी थी आखिर किस बात पर। अजीब- सा अहसास। बहुत हद तक कारण अगले दिन समझ आ गया,जब शैडो के जाने की ख़बर मिली।

 

शैडो, कहने को किसी को जो हिकारत से कहा जाता है, था.यानी कि गली का कुत्ता, स्ट्रीट डॉग था व मेरी गली का एक वफादार बाशिंदा। बहुत सारे इंसानों से ज्यादा भावनाएँ मैंने उसमें देखी थी। इंसानी हिसाब से देखा जाए, तो वो एक दीर्घायु जीकर गया। तेरह साल की उम्र, जब कुत्तों की अधिकतम आयु शायद चौदह साल ही होती है।

 

अंतिम के तीन दिन, जब उसने खाना-पीना छोड़ा, उसके पहले तक वो सचमुच शैडो बनकर मेरे साथ चला। नाम उसका वैसे मोती था, पर जब वइस मोहल्ले में आया था, जाने कैसे चुनमुन ने उसे `शैडो' बुलाना शुरू कर दिया था। अपने दोनों नाम पहचानता था, बातें समझता था। रात को मेरे गेट का ताला बंद होने से पहले अगर किसी दिन वो कहीं लापता होता और रोटी न खा पाता, तो दूसरे दिन सुबह गेट खोलते ही एक ख़ास अंदाज़ में शिकायत होती मुझसे और मेरे इतना कहते ही-हाँ-हाँ, समझ गए, कल खाना नहीं मिला था न, अभी देते हैंबिलकुल शांत हो जाता था।

 

लम्बाई-चौडाई यूँ थी कि अपनी जवानी के दिनों में कि मजाल है कोई अनजान मोटरसाइकिल वाला भन्नाटे से सही सलामत गली से गुज़र सके। इसलिए बच्चों का लाडला था शैडो; क्योंकि गली क्रिकेट में फील्डिंग के साथ-साथ वो इस तरह के घुसपैठियों से भी सबको बचाता था।

 

एक वफादार साथी की तरह न जाने कितनी दूर तक वो अक्सर मेरे साथ चला है, एक बच्चे की तरह न जाने कितनी बार दो पैरों पर खड़े होकर गले लगा है और जाने कितनी बार किसी अनजान को मेरे दरवाज़े पर ऐंवेही फटकने से भी रोका था।

 

लोगो को अपनी भयानक आवाज़ से कँपा देने वाला शैडो हमारे झूठमूठ धमकाने पर यूँ दुबक जाता था कि बरबस हँसी आ जाती थी। जिसने उसे कुछ सालों पहले तक देखा था, वो उसे गली का कुत्ता कहने की बजागली का शेर ही कहते थे।

 

किसी एक का नहीं था, फिर भी सबका था। मौत को अपना बना वो तो अपने कष्टों से मुक्ति पा गया, पर आज भी जब मेरी ही तरह उसे इस गली के कई लोग याद करते हैं, तो ऐसे में मुझे उन लोगों पर तरस आता है, जो अपने कर्मों के कारण ऐसी याद से भी वंचित हैं, उस प्यार से वंचित हैं, जो एक गली का कुत्ता पा गया

 

शैडो के जाने के बाद उसकी विदाई में बस एक ही बात दिल में गूँजी थी- तुम बहुत याद आओगे, हमेशा याद आते रहोगे, हर उस पल में जब कोई साया साथ चलेगा।

 

वफ़ा की सीख

बेजुबान दे जाते

नेह से भरे।

 

                                                

10 टिप्‍पणियां:

Sonneteer Anima Das ने कहा…

हृदयस्पर्शी... 🙏🏻🌹

रश्मि विभा त्रिपाठी ने कहा…

बहुत मार्मिक हाइबन।

अनिता मंडा ने कहा…

कारुणिक परिदृश्य उपस्थित करता हाइबन। अच्छा लिखा। बधाई।

Krishna ने कहा…

मार्मिक हाइबन...बहुत बधाई।

शशि पाधा ने कहा…

मार्मिक प्रस्तुति ।

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

आप सभी की टिप्पणियों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🏻

dr.surangma yadav ने कहा…

अति सुन्दर...भावपूर्ण हाइबन।

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

बेज़ुबान होते हुए भी बहुत अच्छे से समझते-समझाते हैं ये जीव! इनको समझना किसी दैवीय कृपा से कम नहीं!

~सादर
अनिता ललित

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

वह बहुत याद आएगा। बहुत सुन्दर हाइबन। हार्दिक बधाई प्रियंका जी.

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद