रश्मि विभा त्रिपाठी 'रिशू'
हर साल मेरा जन्मदिन आने से पहले ही कितनी दफा पूछा करते थे आप
"बेटी तुझे क्या चाहिए अबकी बार ?
दुनिया की हर चीज तेरे पापा तेरी खुशी के लिए तुझे दिला सकते हैं....
और मैं....
मैं हर बार आपके गले लगकर यही कहती
"मुझे मेरे पापा चाहिए....
मेरे प्यारे पापा....
जो मेरे लिए मेरी पूरी दुनिया हैं...."
"मैं हूँ ना हमेशा तेरे साथ बेटी....
देख....
वैसे तो तू रश्मि है....
मगर किसी भी राह पर चलते हुए तू कभी अँधेरों में भटक गई तो उस वक्त तेरे पीछे मैं जुगनू, दिया, सूरज या तारा बनकर हमेशा तेरे पीछे-पीछे चलूँगा....
तुझे रास्ता दिखाने को....
तुझे तेरी मंजिल तलक ले जाने को....’’
“तो फिर आज मेरी खुशी के लिए मुझे वही तोहफा दीजिये ना ?”
कीजे रौशन
जगा आशीष-ज्योति
मेरा जीवन!
आपके जाने के बाद आज यह मेरा पहला जन्मदिन है। मैं आपके बिना किस तरह मनाऊँ ?
बताओ ना पापा....
कौन लाएगा इस बार मेरे लिए केक ?
कौन मुझे मेरी पसंद का तोहफा दिलाएगा ?
पापा....
मेरी आँखें आपको देख नहीं सकतीं....
मगर मुझे अहसास है....
कि आप यहीं हो मेरे आस-पास....
मुझे रोता छोड़ कर आप कहीं जा ही नहीं सकते
आपका दिल भी आज रो रहा होगा मेरी आँखों में आँसू देखकर....
मुझे यकीन है कि आप मेरी खुशी के लिए आज भी मेरे जन्मदिन पर वही तोहफा दोगे जो मुझे चाहिए....
मैं जब तक जियूँ....
अपना हाथ मेरे सर पर सदा बनाए रखिएगा....
मेरे प्यारे पापा....
अपने शुभाशीष की रौशनी आप स्वर्ग से निरंतर मुझे दिखाते रहिएगा,ताकि मैं ज़िंदगी की इन अँधियारी राहों में भटकने न पाऊँ कभी....
पिता की तस्वीर के आगे नतमस्तक हो रश्मि मन ही मन उनका आशीर्वाद माँगती है-
झुका ये शीश
आपके चरणों में
दो शुभाशीष!
"आपके चरणों में आपकी बेटी का कोटि कोटि नमन!"
"बेटी तुझे क्या चाहिए अबकी बार ?
दुनिया की हर चीज तेरे पापा तेरी खुशी के लिए तुझे दिला सकते हैं....
और मैं....
मैं हर बार आपके गले लगकर यही कहती
"मुझे मेरे पापा चाहिए....
मेरे प्यारे पापा....
जो मेरे लिए मेरी पूरी दुनिया हैं...."
"मैं हूँ ना हमेशा तेरे साथ बेटी....
देख....
वैसे तो तू रश्मि है....
मगर किसी भी राह पर चलते हुए तू कभी अँधेरों में भटक गई तो उस वक्त तेरे पीछे मैं जुगनू, दिया, सूरज या तारा बनकर हमेशा तेरे पीछे-पीछे चलूँगा....
तुझे रास्ता दिखाने को....
तुझे तेरी मंजिल तलक ले जाने को....’’
“तो फिर आज मेरी खुशी के लिए मुझे वही तोहफा दीजिये ना ?”
कीजे रौशन
जगा आशीष-ज्योति
मेरा जीवन!
आपके जाने के बाद आज यह मेरा पहला जन्मदिन है। मैं आपके बिना किस तरह मनाऊँ ?
बताओ ना पापा....
कौन लाएगा इस बार मेरे लिए केक ?
कौन मुझे मेरी पसंद का तोहफा दिलाएगा ?
पापा....
मेरी आँखें आपको देख नहीं सकतीं....
मगर मुझे अहसास है....
कि आप यहीं हो मेरे आस-पास....
मुझे रोता छोड़ कर आप कहीं जा ही नहीं सकते
आपका दिल भी आज रो रहा होगा मेरी आँखों में आँसू देखकर....
मुझे यकीन है कि आप मेरी खुशी के लिए आज भी मेरे जन्मदिन पर वही तोहफा दोगे जो मुझे चाहिए....
मैं जब तक जियूँ....
अपना हाथ मेरे सर पर सदा बनाए रखिएगा....
मेरे प्यारे पापा....
अपने शुभाशीष की रौशनी आप स्वर्ग से निरंतर मुझे दिखाते रहिएगा,ताकि मैं ज़िंदगी की इन अँधियारी राहों में भटकने न पाऊँ कभी....
पिता की तस्वीर के आगे नतमस्तक हो रश्मि मन ही मन उनका आशीर्वाद माँगती है-
झुका ये शीश
आपके चरणों में
दो शुभाशीष!
"आपके चरणों में आपकी बेटी का कोटि कोटि नमन!"
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