1-कृष्णा
वर्मा
1
सावनी झूले
आँसू की डोरी थाम
झूलतीं साँसें
याद आएँ सखियाँ
बचपन की प्यारी।
2
गरजे मेघ
पलटी गगन ने
अमृत देग
बूँदें करें धमाल
हुए बावरे ताल।
3
घिरीं घटाएँ
बौराई ठंडी हवाएँ
धरा मुस्काई
नूपुर बाँध बूँदें
छनक-छन आईं।
4
भीगी-सी रुत
मेघ शोर मचाएँ
गरजे घटा
बदरा बिजुरी से
तस्वीरें खिंचवाएँ।
5
कारे बदरा
बरसाएँ फुहारें
पंख फुलाए
चुल्लू भर पानी में
पंछी डुबकी मारें।
6
बरसी घटा
हरियाएँ घाटियाँ
नाचें हवाएं
हरियल बनड़े
बरखा संग गाएँ।
7
घोलें घटाएँ
जो अम्बर पे स्याही
कालिमा छाए
सूरज की हेकड़ी
तड़ाक टूट जाए।
8
सोमरस-सी
छलकें जब बूँदें
भीगते दिन
लुक-छिप के सूर्य
सोए नयन मूँदे।
-0-
9 टिप्पणियां:
वर्षा का सजीव चित्रण ।बदरा बिजुरी से तस्वीर खिंचाए.....सुन्दर कल्पना । बहुत-बहुत बधाई कृष्णा जी।
बहुत सुन्दर,सरस और मनभावन सावनी-सृजन आद.कृष्णा जी.. हार्दिक बधाई आपको !
सावनी बादल और सूर्य की लुका छुपी से लिप्त ताँका कृष्णा जी सुन्दर सृजन है हार्दिक बधाई |
वर्षा ऋतु की सुंदर प्रस्तुति । नए शब्दों ने ध्यान खींचा -
हरियल बनड़े , नूपुर बाँधे बूँदें , बावरे ताल ।
अच्छे ताँका - बधाई ।
घिरी घटाएँ...., भीगी सी रुत...., गरजें मेघ....लाजवाब तांका!!बहुत बहुत बधाई कृष्णा जी!!💐
हार्दिक आभार भाईसाहब।
आप सभी मित्रों का हार्दिक धन्यवाद।
घिरीं घटाएँ....,भीगी-सी रुत....,बरसी घटा....सावन का बहुत ही मनभावन चित्रण
हार्दिक शुभकामनाएँ कृष्णा जी
सभी ताँका बहुत सुन्दर. हार्दिक बधाई कृष्णा जी.
वाह! सभी ताँका एक से बढ़कर एक! बहुत ही सुंदर चित्र उकेरे हैं आपने आ. कृष्णा दीदी! बहुत-बहुत बधाई आपको!
~सादर
अनिता ललित
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