मंगलवार, 21 जुलाई 2020

925-दूसरा कबूतर



सुदर्शन रत्नाकर


मेरे  रसोईघर के सामने की दीवार पर सूर्योदय से पहले ही कबूतरों का एक जोड़ा  बैठता था। वे दोनों थोड़ी देर किलोल करते और फिर उड़ जाते। मैंने उन्हें दाना डालना शुरू कर दिया। वे इधर-उधर देखते, नीचे उतरते, दाना चुगते, कटोरे में रखा पानी पीते और दीवार पर जा बैठते हैं। यह क्रम कई दिन से चलता रहा है। मुझे भी सुबह- सुबह उन्हें देखने की आदत हो गई है। किसी दिन भूल जाऊँ या देर से किचन में आऊँ, तो वे गुटरगूँ करके, पंख फड़फड़ाकर मुझे याद दिला देते हैं। अब मेरी दिनचर्या कबूतरों को दाना डालने से शुरू होने लगी है।
        कभी -कभी ऐसा होता है कि जब मैं दाना डालती हूँ, एक ही कबूतर दीवार पर बैठा होता है; लेकिन वह तब तक नीचे नहीं उतरता, जब तक दूसरा जाए। दूसरे के आते ही वे दाना चुगने में व्यस्त हो जाते हैं। प्यार और सहयोग की भावना तो पक्षियों में भी होती है।
     कल एक ही कबूतर दीवार पर बैठा था। मैंने दाना फैला दिया सोचा-
दूसरा कबूतर आएगा, तो चुग लेंगे; पर दूसरा कबूतर बड़ी देर तक नहीं आया। मेरा ध्यान बार- बार उसकी ओर जा रहा था।मैंने देखा उसकी आँखें पनीली थीं । पता नहीं मुझे ऐसा क्यों लगा कि जैसे वह मुझसे कुछ कहना चाहता है, कुछ बताना चाहता है  पर निरीह पक्षी बोल तो सकता नहीं। अपना दर्द ,अपनी भावनाएँ कैसे बताए। मैं अपने कामों में व्यस्त  हो गई। थोड़ी देर बाद यूँ ही मैंने खिड़की के  नीचे झाँककर देखा, तो वहाँ कबूतर के पंख फैले हुए थे । लगता है  बिल्ली जो कुछ दिन से घर के बाहर घूम रही थी, कबूतर उसका शिकार हो गया है।  दूसरा कबूतर दीवार पर बैठा अभी तक मेरी ओर देख रहा था और फिर बिना दाना खाए वहाँ से उड़ गया। मेरा मन पीड़ा से भर गया।
निरीह पक्षी
किससे कहे पीड़ा
दिल तो रोता।

सुदर्शन रत्नाकर
-29,नेहरू ग्राँऊड
फ़रीदाबाद-121001
मोबाइल 9811251135

13 टिप्‍पणियां:

भीकम सिंह ने कहा…

बेहतरीन हाइबन

अकेला हुआ
कह,कपोत उड़ा
देकर दुआ ।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

जीवन चक्र।

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

सुदर्शन जी बहुत मर्मस्पर्शी हाईबन | सच है जीवों में भी भावनाएं होती हैं साथ सबको अच्छा लगता है एक दुसरे के बिना जीवन अधूरा है |हार्दिक बधाई स्वीकारें |

dr.surangma yadav ने कहा…

सुन्दर, सुकोमल भावपूर्ण हाइबन। हार्दिक बधाई सुदर्शन जी ।

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

मर्मस्पर्शी हाइबन !!हाइबन कथ्य में पूर्णतः सफल| हार्दिक बधाई सुदर्शन दी !!

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

मर्मस्पर्शी हाइबन !!हाइबन कथ्य में पूर्णतः सफल| हार्दिक बधाई सुदर्शन दी !!

Krishna ने कहा…

हृदयस्पर्शी हाइबन... हार्दिक बधाई सुदर्शन दी।

श्याम त्रिपाठी ने कहा…

सुदर्शन जी की कहानी पंचतन्त्र की कहानी के समान है | शिक्षाप्रद, भावुक करने वाली -पढकर आँखें भीग गयीं | मूक पक्षी
बिना कुछ कहे ही सब कुछ कह दिया | श्याम त्रिपठो -हिंदी चेतना

Sudershan Ratnakar ने कहा…

श्याम सुंदर त्रिपाठी जी एवं आप सब प्रियजनों की प्रतिक्रियाओं ने मुझे प्रोत्साहित किया है।हृदय तल से आभार

Jyotsana pradeep ने कहा…


बहुत सुन्दर,मर्मस्पर्शी हाइबन आदरणीया..हार्दिक बधाई आपको !

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

बेहद मर्मस्पर्शी हाइबन. जो प्यार करे उसे बेजुबान अपनी पीड़ा बता ही देते हैं. इंसान हो या कोई भी जीव सबका मन एक-सा होता है. बहुत सुन्दर लिखा है आपने, बधाई रत्नाकर जी.

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

बहुत मर्मस्पर्शी हाइबन आ. सुदर्शन दीदी जी! भावनाएँ तो पंछियों में भी होती ही होंगी! आपने बख़ूबी उन्हें काग़ज़ पर उतार दिया!सुंदर सृजन हेतु आपको बहुत बधाई!

~सादर
अनिता ललित

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

अंत पढ़ कर मन व्यथित हो गया | ये मूक प्राणी अपनों को खोने की पीड़ा महसूसते हैं, पर कह नहीं सकते | मर्मस्पर्शी हाइबन के लिए बधाई |