डॉ .जेन्नी शबनम
अक्सर पूछा
खुद से ही सवाल
जिसका हल
नहीं किसी के पास,
मैं ऐसी क्यों हूँ ?
मैं चिड़िया क्यों नहीं
या कोई फूल
या तितली ही होती,
यदि होती तो
रंग- बिरंगे होते
मेरे भी रूप
सबको मैं लुभाती
हवा के संग
डाली-डाली फिरती
खूब खिलती
उड़ती औ नाचती,
मन में द्वेष
खुद पे अहंकार
कड़वी बोली
इन सबसे दूर
सदा रहती
फोटो; रश्मि शर्मा |
प्रकृति का सानिध्य
मिलता मुझे
बेख़ौफ़ मैं भी जीती
कभी न रोती
बेफ़िक्री से ज़िन्दगी
खूब जीती
हँसती ही रहती
कभी न मुरझाती !
-0- मेरे ब्लॉग-
16 टिप्पणियां:
सुंदर साधा है मन के सवालों को।
शायद सबको ही मथते हैं ये सवाल कभी न कभी।
बधाई
खुद से प्रश्न करना और फूल , तितली होने की कल्पना के साथ आपने प्रकृति और अपने मन का समन्वय करते हुए सुंदर चोका प्रस्तुत किया - बधाई ।
उम्दा चोका ।प्रकृति के माध्यम से मन की भावनाओं को बहुत सुंदर उकेरा है।बधाई आपको
बहुत सुंदर
बेख़ौफ़ मैं भी जीती
कभी न रोती
बेफ़िक्री से ज़िन्दगी
खूब जीती
हँसती ही रहती
कभी न मुरझाती !
सबके मन की बात बड़ी ख़ूबसूरती से रचना में ढाली जेन्नी जी आपने... .बहुत बधाई आपको !
मानवीय दुर्बलताओं से ऊबे मन की सुन्दर कल्पना ।बधाई जेन्नी जी।
ठीक ही सोचा और ठीक ही लिखा है आपने जीवन के अच्छे -बुरे अंतर्द्वंदों से घिरा मन बेकली की स्थिति में पक्षियों को निर्द्वन्द, बिना किसी वैमनस्य या प्रतिस्पर्धा से रहित खुले मन से यहाँ से वहाँ चहकते-फुदकते देखता है तो कभी -कभी यही सोचने को विवश हो उठता है कि (लॉक- डाउन में स्वयं को घर में बंद रहकर भी एक भय की स्थिति में जीना -कितना सार्थक है !)काश मैं मानव से इतर सुख -दुःख,ईर्ष्या-द्वेष से परे और उन्मुक्त होती | सुंदर चोका के लिये जेन्नी जी बधाई |
पुष्पा मेहरा
आप सभी ने मेरे चोका को बहुत मन से पसंद किया और सराहा है, हृदय से आभारी हूँ. आप सभी की प्रतिक्रिया बहुमूल्य है और लिखने के लिए सदैव प्रेरित करती है. आप सभी से यूँ ही स्नेह मिलता रहे, यही कामना है. बहुत बहुत धन्यवाद.
मन कल्पनाओं को साकार कर जीना चाहता है । अपनी पीड़ा से निजात पाने को है मन की आतुरता । प्रकृति का हिस्सा बनकर जीने की कल्पना । बहुत सुंदर सृजन । बधाई जेन्नी जी ।
जेन्नी जी मन के अंतर्द्वंद को खुले गगन में उड़ते पक्षी के माध्यम से स्वछन्द विचरने की अभिलाषा को चौका में शब्दों में बाँध कर पिरोया है वाकई सुन्दर सृजन है हार्दिक बधाई आपको |
मन की सीधी सादी मगर महत्वपूर्ण इच्छा, सुंदर अभिव्यक्ति जेन्नी जी, आपको बधाई
सच कहा आपने - नहीं है इसका जवाब कि 'मैं ऐसी क्यों हूँ ?'
सुंदर अभिव्यक्ति
हार्दिक शुभकामनाएँ जेन्नी जी
मन में उठते हुए सवालों का सुंदर चित्रण किया आपने जेन्नी जी! बहुत सुंदर चोका!
बहुत बधाई आपको!
~सादर
अनिता ललित
सुंदर चोका सृजन। मन भावों को कितनी ख़ूबसूरती से उकेरा आपने। हार्दिक बधाई जेन्नी जी।
सराहना के लिए आप सभी का बहुत धन्यवाद. आप सभी की प्रतिक्रिया से मन हर्षित है. स्नेह बनायें रखें, आभार.
बेहद सुन्दर सृजन
बहुत बहुत शुभकामनाएं आदरणीया!
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