शुक्रवार, 3 जुलाई 2020

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1-सेदोका
कृष्णा वर्मा
1
नई उम्रों की
देख ख़ुदमुख्तारी
रुष्ट हो गए राम
कतरे पर
ताले उड़ान पर
लो भुगतो अंजाम।
2
कोरोना काल
भक्ष रहा बंदों को
क़ायनात बेहाल
मन हैरान
आलमी  ज़ाब का
कैसे होगा  निदान।
3
टोह न चाप
भोंका कोरोना का
खंजर चुपचाप
मिले सबक़
मूरख बंदे तुझे
चली वक़्त ने चाल।
4
कैसी बीमारी
किसी से भी मिले तो
ज़ा मिलेगी भारी
की जो कोताही
लील लेगा विषाणु
मचाएगा तबाही।
5
कहो कोरोना
कब तक रहेगा
सितम ये तुम्हारा
क्षमा दान दो
बख़्शो इस जग को
अहसान करदो
6
बाँधा स्त्री को
सीमित कीं सीमाएं
तुम कैसे अंजान
परिधि-घिरी
अविरल विशाल
छोड़ो बुनना जाल।
7
सब्ज़ पत्तों पे
मौसम का क़हर
ज़र्द दोपहरियाँ
तपे पहर
पी रहीं उदासियाँ
जुदाई का ज़हर।
8
अंजाम नहीं
होता बेकरारी का
फिर भी बेकरार
इंसा बहता
अपनी रवानी में
दरिया रवानी- सा।
9
सह न पाया
तुम से मिली ईर्ष्या
नफ़रत दुत्कार
लौटा रहा हूँ
शब्दों में पिरोकर
लय- तुक के साथ।
-0-
2-ताँका
अर्चना राय
1
मन-विहग
विचरे अविराम
अनंत चाह
उत्कंठित ढूँढता
गूढ़-सा ब्रह्म ज्ञान। 
-0-

10 टिप्‍पणियां:

Sudershan Ratnakar ने कहा…

समसामयिक बहुत सुंदर सेदोका।बधाई कृष्णा जी।
अर्चना जी बहुत बढ़िया ताँका ।बधाई

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

बहुत सुंदर सेदोका , आपकी बधाई कृष्णा जी।
अर्चना जी आपका तांका भी बहुत बढ़िया, आपको भी बधाई!!

Ramesh Kumar Soni ने कहा…

कोरोना से संबंधित सुंदर सेदोका - बधाई कृष्णा जी ।

Dr. Purva Sharma ने कहा…

सभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक ......
लौटा रहा हूँ/शब्दों में पिरोकर/लय- तुक के साथ....
अंजाम नहीं/होता बेकरारी का/ फिर भी बेकरार.....
बहुत ही सुंदर
कृष्णा जी हार्दिक शुभकामनाएँ ।

उत्कंठित ढूँढता...सुंदर ताँका
अर्चना जी हार्दिक बधाइयाँ ।

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

कृष्णा जी सुन्दर सामयिक सृजन |अर्चना जी आपको और कृष्णा जी को हार्दिक बधाई |

सदा ने कहा…

वाह बहुत ही बेहतरीन सृजन ...बधाई सहित शुभकामनाएं

dr.surangma yadav ने कहा…

कृष्णा जी,अर्चना जी सुन्दर रचनाओं के लिए हार्दिक बधाई ।

Krishna ने कहा…

बहुत सुंदर ताँका... हार्दिक बधाई अर्चना जी।

Krishna ने कहा…

आ० भाई काम्बोज जी तथा आप सभी मित्रों का आभार।

Jyotsana pradeep ने कहा…

आद. कृष्णा जी,अर्चना जी मनमोहक रचनाओं के लिए हार्दिक बधाई !!