सोमवार, 25 अगस्त 2014

नभ में मेघा छाए

माहिया - सुदर्शन रत्नाकर

1
लो सावन आया है
बिन माँगे ही वो
सौग़ातें लाया है ।
2
जब मेघ बरसता है
मन साँवरिया से
मिलने को तरसता है ।
3
बूँदें जब गिरती हैं
प्यास बुझाने को
आकुल हो फिरती हैं
4
सावन तो आया है
मेघ नहीं बरसे
जीवन मुरझाया है ।
5
नभ में मेघा छाए
नाचे मन  हर पल
तुम जो अँगना आए
-0-

पेड़ बाँह पसारे


1-चोका
सविता मिश्रा  
व्याकुल धरा
मिलने को उत्सुक
श्याम मेघ से
सजके  है तैयार
बदरिया भी
झूम बरसने को
उत्सुक होती
पेड़ बाँह पसारे
खड़े आस में-
झमाझम बरसे
लहलहाए
बारिद के जल से
अपने ताप
धो कर है निखरे
अंग प्रत्यंग
झूमे भर उमंग
हर्षित हुए
पेड़-पौधे  जीव भी
रौनक पाएँ
हरी चादर बिछी
रोम-रोम पुलकें ।
-0-
2-सेदोका
सविता अग्रवाल  सवि
1
गुलाबी गाल
नन्ही ,प्यारी गुड़िया
होठों पर मुस्कान
खोले अधर
न बोले कोई बात
मनवा भरे हास ।
2
पत्तों का प्रेम
नेह में भीग कर
शाख शरमा गई
सुमन खिले
पाँखुरी का पराग
भौरें पी गए सभी
-0-
ताँका


रेनु चन्द्रा

1

 कठिन राहें
 चुभते पाँवों शूल
 चलो पवन
 तुम झूम झूम के
 गम जाएँगे भूल ।
2
कड़ी धूप है
गर्मी का है आतंक
 जलते पाँव
 होते यदि वृक्ष तो
मिलती ठण्डी छाँव ।
-0-
 



सोमवार, 18 अगस्त 2014

मधुर तेरी तान



अनिता ललित


ओ मेरे कान्हा!

तू है मेरा सहारा।

पालनहारा !

तू ही खेवनहारा।

मोर मुकुट !

तेरा रूप सलोना

दिल लुभाए

हो जग उजियारा !

आँसू की धार,

जीवन मझधार,

बंसी की धुन

है पतवार मेरी !

ये प्यारी हँसी

दुःख-दर्द निवारी।

मेरा जीवन

है तुझको अर्पण।

मैं हूँ निश्चिन्त

आके तेरी शरण।

मुरलीधर!

मधुर तेरी तान!

मुझे दो शक्ति

मेरी विपदा हरो।

राह दिखाओ !
दिल में बस जाओ

त्कर्म मेरे-

बनें पूजा-अर्चना

तेरी भक्ति-वन्दना।

-0-

मोहक है मुस्कान



 1-सेदोका
कृष्णा वर्मा
1
श्याम वर्ण
मोहक है  मुस्कान
जन्में कृष्णकिशोर
घनांधकार
चमके सौदामिनी
झंझा थी घनघोर ।
2
रूप सलोना
सुन्दर चित्तवन
भरा है जादू टोना
नैन नशीले
मुस्कान अधर पे
है किसका तू छौना।
3
सुन्दरता के
अथाह हो सागर
नैनों में मस्ती छाई
सूरत प्यारी
लगे चंदा नभ में
ज्यों तेरी परछाई।
4
नव यौवन
भरा कलेवर है
दिव्य तेरा शृंगार
राधिका संग
नाचें मुरलीधर
कालिंदी तट पर।
-0-
2-माहिया

डॉ सरस्वती माथुर


1
मुरली जब बजती है
 छवि तब कान्हा की  
नैनन आ  सजती  है।
2
यमुना तीरे डोले
आकुल- सी राधा 
कान्हा- कान्हा बोले ।
-0-
ताँका
डॉ सरस्वती माथुर 
1
राधा अधूरी
घनश्याम के बिना
निष्काम प्रेम
कृष्णमय है मन
चंचल चितवन
2
मुझे न बुला
बाँसुरी तान सुन
गोपियाँ  हँसें
राधा है समझाए
कृष्ण संग मुस्काए
3
राधा बौराए
वंशी की धुन सुन
बावरी डोले
बन में आकुल सी
कृष्णमय हो जाए
-0-

शुक्रवार, 15 अगस्त 2014

त्योहार बहारों का



डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा
1
जब गूँजें टंकारें
सुख,सौहार्द रचें
वीरों की हुंकारें |
2
त्योहार बहारों का
है क्या काम यहाँ
कुटिलों ,गद्दारों का |
3
भर खूब उमंगों में
आज तिरंगे के
डूबा मन रंगों में |
4
भूलें तो भूल चले
जो जाल बुने उनको
करके निर्मूल चले |
5
हाँ ,ख्वाब सुहाने हैं
हक़ पाए अपने
अब फ़र्ज़ निभाने हैं |
6
झूले थे बाहों के
मैं काँटे चुन लूँ
ममता की राहों की |
-0-