माहिया - सुदर्शन रत्नाकर
1
लो सावन आया है
बिन माँगे ही वो
सौग़ातें लाया है ।
2
जब मेघ बरसता है
मन साँवरिया से
मिलने को तरसता है ।
3
बूँदें जब गिरती हैं
प्यास बुझाने को
आकुल हो फिरती हैं
4
सावन तो आया है
मेघ नहीं बरसे
जीवन मुरझाया है ।
5
नभ में मेघा छाए
नाचे मन
हर पल
तुम जो अँगना आए
-0-
8 टिप्पणियां:
सावन पर सुन्दर माहिया ...सादर नमन !
b varsha ke man ka pyar bhara bhav ,mahiya ke madhyam se bahut sunder darshaya hai . sudershan ji apko badhai.
pushpa mehra.
sundar
मनभावन माहिया सावन के
सुदर्शन जी बधाई
आदरणीय सुदर्शन जी,
भीगा सा सावन है
धरती से पूछो
उसका मनभावन है |
सभी माहिया सुन्दर | बधाई |
शशि पाधा
सुन्दर सावनी माहिया !
~सादर
अनिता ललित
bahut sunder mahiya....sadar naman ke saath -saath badhai.
सावन तो आया है
मेघ नहीं बरसे
जीवन मुरझाया है ।
इस बार का सच है इस माहिया में...बहुत अच्छे माहिया हैं...|
बधाई...|
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