शशि पाधा
1
यह धागा पावन है
उत्सव राखी का
सब का मनभावन है ।
2
कुल रीत निभाई है
कितने चाव लिये
बहिना घर आई है ।
3
बहिना तो गुड़िया -सी
अब भी यह लगती
खुशियों की पुड़िया- सी ।
4
रोली औ चन्दन है
पूजन थाली में
मंगल अभिनन्दन है ।
5
मन में झंकार बजे
भैया के माथे
यह टीका खूब सजे ।
6
कैसी मजबूरी है
माँ के अँगना से
मीलों की दूरी है ।
7
अब के जो आना तू
वादा कर बहिना
जल्दी ना जाना तू ।
8
नैहर की गलियाँ हैं
कैसे छोडूँगी
केसर की कलियाँ हैं ।
-0-
2- डॉ. ज्योत्स्ना
शर्मा
1
ये राखी के धागे
सुख की किरण बनें
फिर दुख का तम भागे ।
2
दमके नैहर मेरा
खूब सजे भाभी
शृंगार अमर तेरा ।
3
राखी पे बलिहारी
फूलों- से महके
भैया की फुलवारी ।
-0-
3-सुदर्शन रत्नाकर
1
ये प्यार अनोखा है
राखी- सा पावन
बन्धन ना देखा
है !
2
ये प्यार –भरे रिश्ते
टूट नहीं पाएँ
मुश्किल से हैं मिलते ।
4 टिप्पणियां:
बहिना तो गुड़िया -सी
अब भी यह लगती
खुशियों की पुड़िया- सी ।
6
कैसी मजबूरी है
माँ के अँगना से
मीलों की दूरी है ।
8
नैहर की गलियाँ हैं
कैसे छोडूँगी
केसर की कलियाँ हैं ।
बहुत सुंदर और सुमधुर माहिया हैं शशि जी। बधाई !
ज्योत्स्ना जी और सुदर्शन जी के माहिया भी बहुत अच्छे लगे।
सभी को रक्षापर्व की बधाई !
'खुशियों की पुड़िया' , झंकार ,'नैहर की गलियाँ ',पावन बंधन ' क्या कहिए ...बहुत सरस ,मोहक , अनुपम माहिया हैं ...हार्दिक बधाई शशि दी एवं सुदर्शन दी ....शुभ कामनाएँ ..सादर नमन !
shashi ji ,jyotsna ji aur sudarshan ji ...aapke sab ke mahiya ne mann anandit kar diya....badhai sabhi ko
बहुत कोमल अहसासों से परिपूर्ण हैं ये सब माहिया...हार्दिक बधाई...|
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