1-सेदोका
कृष्णा वर्मा
1
श्याम
वर्ण
मोहक है
मुस्कान
जन्में
कृष्णकिशोर
घनांधकार
चमके
सौदामिनी
झंझा थी
घनघोर ।
2
रूप सलोना
सुन्दर
चित्तवन
भरा है
जादू टोना
नैन नशीले
मुस्कान
अधर पे
है किसका तू छौना।
3
सुन्दरता
के
अथाह हो
सागर
नैनों में
मस्ती छाई
सूरत
प्यारी
लगे चंदा
नभ में
ज्यों
तेरी परछाई।
4
नव यौवन
भरा कलेवर
है
दिव्य
तेरा शृंगार
राधिका
संग
नाचें
मुरलीधर
कालिंदी
तट पर।
-0-
2-माहिया
डॉ सरस्वती माथुर
1
मुरली जब बजती है
छवि तब कान्हा
की
नैनन आ
सजती है।
2
यमुना तीरे डोले
आकुल- सी राधा
कान्हा- कान्हा बोले ।
-0-
ताँका
डॉ सरस्वती माथुर
1
राधा अधूरी
घनश्याम के बिना
निष्काम प्रेम
कृष्णमय है मन
चंचल चितवन
2
मुझे न बुला
बाँसुरी तान सुन
गोपियाँ हँसें
राधा है समझाए
कृष्ण संग मुस्काए
3
राधा बौराए
वंशी की धुन सुन
बावरी डोले
बन में आकुल सी
कृष्णमय हो जाए
-0-
3 टिप्पणियां:
krishna ji va mathur ji ap dono ke sedoka radha krishna ki bhakti se bhare hain badhai .
pushpa mehra.
आदरणीया कृष्णा दीदी जी, बहुत सुन्दर रूप-वर्णन किया आपने कान्हा जी का। मन भावविभोर हो गया। अतिसुन्दर सेदोका !!!
डॉ सरस्वती माथुर जी माहिया एवं ताँका दोनों ही बहुत सुन्दर।
आप दोनों को हार्दिक बधाई !
~सादर
अनिता ललित
कई बार कुछ पंक्तियाँ बरबस ही मन को अपने भावो संग बहा ले जाती हैं...| इस भक्तिमय प्रवाह के संग बहना बहुत अच्छा लगा...हार्दिक बधाई...|
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