माहिया
शशि पाधा
1
यह प्यार अनोखा
है
मन जब हीर हुआ
कब,किसने रोका है ।
2
राँझा क्या
गाता है
गीतों के सुर में
मन पीर सुनाता है ।
3
सागर जल खारा
है
किरणों से पूछो
उनको तो प्यारा है।
4
लो बदरा बरस गए
धरती प्यासी थी
चुप आके सरस गए।
5
यह भाषा कौन पढ़े
नैना कह देते
अधरा हैं
मौन जड़े।
6
यह चुप ना रहती है
साँसें बोलें ना
धड़कन सब कहती है ।
7
कैसी मनुहार हुई
कल तक रूठे थे
अब मन की हार हुई।
8
मन पंछी उड़ता
है
सपने पंख बने
रोके न रुकता है ।
9
दोनों ने ठानी है
राधा कह दे जो
मीरा ने मानी है ।
10
बिन पूछे जग जाने
प्रेम किया जिसने
वो रब को पहचाने।
-0-
4 टिप्पणियां:
Bahut bhavpurn
बहुत सुन्दर ,मधुर माहिया ..."राँझे का गीत " ,"नैनों" की ,...."धड़कन" की भाषा बेहद प्यारे ..हार्दिक बधाई दीदी ...सादर नमन !
बेहतरीन ...
बहुत सुन्दर...हार्दिक बधाई...
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