1-माहिया
शशि पाधा
1
रुकती ना पहरों में
नदियाँ जा मिलती
सागर की लहरों में ।
2
पंछी तो जाने ना
सीमा देशों की
नभ से पहचाने ना ।
3
पर्वत की धारा है
पत्थर राह मिले
मन किसने हारा है ।
4
निज पौरुष आँक लिया
मेघों ने ढाँपा
सूरज ने झाँक लिया ।
5
पथ -पथ में नूर भरे
नन्हा जुगनू भी
अँधियारा दूर करे ।
6
पुरवा ले आती है
खुशबू चंदन की
कण-कण महकाती है ।
7
सुख- दिन की आस करो
अपने हाथों पर
कुछ तो विश्वास करो ।
8
इच्छाएँ सपनों सी
पूरी हों न हों
संग रहती अपनों सी
।
9
इन मौन इशारों ने
दरिया बाँध लिये
दो शान्त किनारों ने ।
10
हाथों की रेखा है
बनती - मिटती है
कर्मों का लेखा है ।
11
कुछ और न कहना है
उमड़े भावों की
धारा में बहना है
-0-
2-ताँका
सविता अग्रवाल "सवि"
1
नीला अम्बर
खुशनुमा मौसम
बहारों संग
उड़ कर चली वो
भरने नव रंग ।
2
शाखाएं झुकी
करने को नमन
पत्ते भी हिले
देने सलामी स्वयं
हवा के झोंकों संग
3
ऊँचा पहाड़
मंदिर की घंटियाँ
अनोखी छटा
पथ हुए बीहड़
पर मन है दृढ़ ।
4
गंतव्य दूर
अनजानी- सी राहें
रात अँधेरी
चिराग की रोशनी
दिशाओं का संकेत ।
5
महानगर
भीड़ ही भीड़ यहाँ
भागते सभी
रास्ते में भीड़ भारी
समय न है यहाँ ।
-0-
-0-
5 टिप्पणियां:
बहुत खुबसुरत ...बधाई आप दोनों जन को
पथ -पथ में नूर भरे
नन्हा जुगनू भी
अँधियारा दूर करे ।
bahut khoobsurat....gagar mein sagar sa.....prernadaaye....sunder sandesh liye mahiya....badhai man ki...sabhi ne man moha...
3
ऊँचा पहाड़
मंदिर की घंटियाँ
अनोखी छटा
पथ हुए बीहड़
पर मन है दृढ़ ।
sahi kaha aapne....sunder sandesh ke saath.....sabhi rachnaye pyari ...par nazar rookti hai jab seekhne ko kuch milta ho..vo bhi itna pyara..badhai ke saath=
b sashi ji va shanti ji mahiya aur tanka bahut sunder rache hain ap dono ko badhai.
pushpa mehra.
सुख- दिन की आस करो
अपने हाथों पर
कुछ तो विश्वास करो ।
बहुत प्रेरक...
इच्छाएँ सपनों सी
पूरी हों न हों
संग रहती अपनों सी
बिल्कुल सच है ये...। खूबसूरत माहिया के लिए बधाई...|
ऊँचा पहाड़
मंदिर की घंटियाँ
अनोखी छटा
पथ हुए बीहड़
पर मन है दृढ़ ।
बहुत बढ़िया...। हार्दिक बधाई...।
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