डॉ ज्यो त्स्ना शर्मा
1
मिलने की
आस बँधी
झूम उठी
बगिया
फूलों से
खूब लदी ।
2
क्यों नैन
भिगोती है
बंद सदा
रखना
मुट्ठी
में मोती है ।
3
ढूँढो तो
राह मिले
स्नेह
सहित सींचो
खुशियों
के फूल खिलें ।
4
वादे से
मुकर गए
ख्वाब
बहारों के
पलकों पे
गुजर गए ।
5
नैनों में
सपने हैं
दुर्दिन
कह जाएँ -
कब?कितने?अपने हैं
।
6
दीं चोटें
फूलों ने
बींध दिया
मनवा
सुधियों
के शूलों ने ।
7
कुछ बढ़कर
अटक गए
यश पाया
थोड़ा
फूले,पथ भटक गए ।
8
अनुभव ने
सिखलाया
चन्दन थे, जग ने
विषधर बन दिखलाया।
9
काँटों
में कलियाँ हैं
बिटिया की
बतियाँ
मिसरी की
डलियाँ है ।
10
जग जान
कहाँ पाया
मर्यादा
भूला
मन मान
कहाँ पाया ।
11
किस्से
दिन -रातों के
संग
खिलौने हैं
मीठी सी
बातों के ।
12
रुत आनी
-जानी है
सुख-दुख
साथ चलें
ये रीत
पुरानी है ।
13
क्या दी
क़ुव्वत मुझमें
बाँट दिया
रब ने
माँ !
बिटिया में , तुझमें।
-0-
8 टिप्पणियां:
bahut khubsurat sabhi mahiya
सभी माहिया बहुत सुन्दर मन भावन हैं। आपको हार्दिक बधाई !
सभी माहिया बहुत सुन्दर ज्योत्स्ना जी। विशेषकर हमें ये बहुत भाए
काँटों में कलियाँ हैं
बिटिया की बतियाँ
मिसरी की डलियाँ है।
रुत आनी -जानी है
सुख-दुख साथ चलें
ये रीत पुरानी है ।
क्या दी क़ुव्वत मुझमें
बाँट दिया रब ने
माँ ! बिटिया में , तुझमें।
~सस्नेह
अनिता ललित
सभी माहिया बहुत अच्छे लगे, यह सबसे ख़ास लगा...
नैनों में सपने हैं
दुर्दिन कह जाएँ -
कब?कितने?अपने हैं ।
बधाई.
b jyotsna sharma ji apke sabhi mahiya vishesh rup se kanton meinkaliyan ........ bahut hi bhavpurn hai badhai.
pushpa mehra.
आप सभी सुधि जनों का हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ |आपकी प्रेरक प्रतिक्रिया मेरे लेखन की ऊर्जा है | सनेह रखिएगा |
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
sabhi mahiya khoobsurat...dil ko mohne wale....jyotsna ji ...aap ko hridy tal se badhai...
अनुभव ने सिखलाया
चन्दन थे, जग ने
विषधर बन दिखलाया।
जग की रीत यही...बहुत सुन्दर माहिया...|
हार्दिक बधाई...|
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