1-चोका
सविता मिश्रा
व्याकुल धरा
व्याकुल धरा
मिलने को उत्सुक
श्याम मेघ से
सजके है तैयार
बदरिया भी
झूम बरसने को
उत्सुक होती
पेड़ बाँह पसारे
खड़े आस में-
झमाझम बरसे
लहलहाए
बारिद के जल से
अपने ताप
धो कर है निखरे
अंग प्रत्यंग
झूमे भर उमंग
हर्षित हुए
पेड़-पौधे जीव भी
रौनक पाएँ
हरी चादर बिछी
रोम-रोम पुलकें ।
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2-सेदोका
सविता अग्रवाल
‘सवि’
1
गुलाबी गाल
नन्ही ,प्यारी गुड़िया
होठों पर मुस्कान
खोले अधर
न बोले कोई बात
मनवा भरे हास ।
2
पत्तों का प्रेम
नेह में भीग कर
शाख शरमा गई
सुमन खिले
पाँखुरी का पराग
भौरें पी गए सभी ।
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ताँका
ताँका
रेनु चन्द्रा
1
कठिन राहें
चुभते पाँवों शूल
चलो पवन
तुम झूम झूम के
गम जाएँगे भूल ।
2
कड़ी धूप है
गर्मी का है आतंक
जलते पाँव
होते यदि वृक्ष तो
मिलती ठण्डी छाँव ।
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