सुदर्शन रत्नाकर
1.
पत्तियों पर
मोती-सी ओस बूँदें
मोहती मन
सूरज सोख लेता
पर उसका तन
2.
कमल खिले
भँवरे मँडराए
मिला पराग
सुध-बुध ही खोई
बचता कोई-कोई
3.
पर्वत पर
बादल मँडराते
दिल हों जैसे
आशाओं के दीपक
जलते हैं रहते
4.
हवा गाती है
पत्तियाँ नाचती हैं
फूल फैलाते
माहौल में खुशबू
मन को महकाते
5.
एक चिड़िया
उड़ती आकाश में
गीत सुनाती
छूती है ऊँचाईयाँ
इधर-उधर से
6.
शीतल छाया
पीपल के पेड़ की
खो गई कहीं
सपना लगती है
बड़ी याद आती है
7.
माँ की ममता
पिता को वो दुलार
कहाँ खो गए
अपनों की भीड़ में
क्यों अकेले हो गए
8.
सुबह होती
चिड़िया चहकती
मन मोहती
वातावरण देखो
प्रकृति सँभालती
9.
मैं सोती रही
दुनिया जगती थी
क्या पछताना
जहाँ आँख खुलेगी
होगा वहीं उजाला
10
कर्म विहीन
कागज़ के फूल-सा
व्यर्थ जीवन
कब तक कटेगा
ऐसा सुगंधहीन
-0-
7 टिप्पणियां:
माँ की ममता
पिता को वो दुलार
कहाँ खो गए
अपनों की भीड़ में
क्यों अकेले हो गए...
Apntv ki kami ko khub darshaya hai in panktiyon ke maadhayam se...bahut2 badhai..
माँ की ममता
पिता को वो दुलार
कहाँ खो गए
अपनों की भीड़ में
क्यों अकेले हो गए
बहुत भावपूर्ण व सुन्दर...मेरी बधाई...।
prakrati ke achchhe drashy hain.
पत्तियों पर
मोती-सी ओस बूँदें
मोहती मन
सूरज सोख लेता
पर उसका तन
sunder bhav
badhai
rachana
man ko chhu gaye...
माँ की ममता
पिता को वो दुलार
कहाँ खो गए
अपनों की भीड़ में
क्यों अकेले हो गए
sundar bhaav, badhai.
माँ की ममता
पिता को वो दुलार
कहाँ खो गए
अपनों की भीड़ में
क्यों अकेले हो गए
bahut sunder bhaav hain badhai.
प्रत्येक तांका खूबसूरत है
उमेश मोहन धवन, कानपुर
एक टिप्पणी भेजें