1-डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा
1
चकित चाँद
देखता था नज़ारे
उझक-उझक के
ले गया मेघ
तान स्याह चादर
रात सारे सितारे ।
2
पहन आया
सतरंग मुंदरी
अम्बर हीरों -जड़ी
देखी जो शोभा
अनुपम धरा भी
देखो ठगी सी खड़ी ।
-0-
2-अनिता मण्डा
1
पंख बेताब
पिंजरे के बंदी हैं
उड़ने के आदी थे
आँसू से बहे
घुल गई सियाही
सपनें किताबी थे।
2
बन के फूल
खिल जायेंगे हम
बिखरेगी ख़ुशबू
हवा में घुल
आएँगे तुम तक
मिल जायेंगे हम।
3
फूलों ने भेजे
ख़ुशबू भरे ख़त
लिख प्यार के मंत्र
पाती ज्यों खोली
खुशबू उड़ी ऐसी
आ गए सब मीत
।
4
आ जाता चाँद
लेकर नया रूप
हर बार बढ़ता
देख के दाग़
फिर से घट जाता
लेने नया जनम।
-0-
10 टिप्पणियां:
दोनो बिरहा भरी और सुंदर रचनाएँ
चकित चाँद, सतरंग मुंदरी, पंख बेताब, ख़ुश्बू भरे ख़त... सभी सेदोका बहुत मनमोहक!
हार्दिक बधाई... ज्योत्स्ना जी एवं अनीता मण्डा जी!!!
~सादर
अनिता ललित
डॉ ज्योत्सना जी और अनीता जी आप दोनों को ही इतनी सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई |
jyotsna ji va anita ji ap dono ke sedoka bahut hisunderhain. badhai.
pushpa mehra
चकित चाँद, बन के फूल बहुत सुन्दर सेदोका....ज्योत्स्ना जी, अनीता जी...बहुत बधाई!
bahut khub! bahut bahut badhai...
प्रेरक उपस्थिति हेतु आप सभी के प्रति बहुत-बहुत धन्यवाद !
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
पंख बेताब , बन के फूल ...बहुत सुन्दर ! अनिता जी हार्दिक बधाई !!
सस्नेह
ज्योत्स्ना शर्मा
bahut khoobsurat rachnayen!chakit chaand v ban ke phool ne man moh liya ...jyotsna ji tatha anita ji ko shubhkaamnayen..
इतने अच्छे और सुन्दर सेदोका के लिए आप दोनों को हार्दिक बधाई...|
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