1-अनिता ललित
1
तूफ़ान घिरा मन में
नींद कहीं खोई
काँटों के इस वन में
2
दिल के खेल निराले
दुनिया से जीते
पर अपनों से हारे।
3
सपनों में आती हैं
बचपन की गलियाँ
यूँ पास बुलाती हैं।
4
क्या भादों क्या सावन
नैना तो बरसें
सूखा दिल का आँगन।
5
सब अलग हुई राहें
अपने बीच बची
बस सर्द-बुझी आहें।
6
पालें रहकर भूखे
दुःख माँ-बाप सहें
सुख -सागर सब सूखे
7
भूली-बिसरी यादें
पलकों पर जागें
करती हैं फरियादें।
8
बीच न तेरे-मेरे
चाहत के वादे
यादें क्यों हैं घेरे ?
9
तन-मन जिस पर वारा
आँखों का तारा
भूला! आज किनारा।
10
कैसी ये मजबूरी
पास रहे फिर भी
ना मिट पाई दूरी।
-0-
डॉ आशा पाण्डेय
डॉ आशा पाण्डेय
1
मनमीत तुम्हीं जानो
बातें मेरे मन की
तुम मानो ना मानो ।
2
भर-भर आती आँखें
उड़ना ही होगा
छूटेंगी ये शाखें।
3
बोली में कडुआहट
वार करे दिल पर
होती है अकुलाहट।
4
बादल जो घूम रहे
गागर भूले घर
बिन पानी झूम रहे।
5
पूजा का थाल लिये
द्वार खड़ी तेरे
नैनों का ताल लिये।
-0-
12 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर माहिया अनीता जी। ९वाँ और १०वाँ विशेष लगे....बधाई!
आशा जी... पूजा का थाल लिए...बहुत सुन्दर माहिया...बधाई!
धन्यवाद कृष्णा जी.सरस्वती माथुर जी तथा रामेश्वर जी के प्रोत्साहन और प्रेरणा से मैं माहिया लिखना शुरू की.आप दोनोको भी धनयवाद
sabhi mahiya dil ko chhoone vale hain. anita ji va asha ji badhai.
pushpa mehra.
तूफ़ान घिरा मन में
नींद कहीं खोई
काँटों के इस वन में
Javab nahi..bahut bahut badhai...
भर भर आती आँखें
उड़ना ही होगा
छूटेंगी ये शाखें।
Bahut bhavpurn...bahut bahut badhai...
धन्यवाद एवं आभार...कृष्णा दीदी, पुष्पा जी, भावना जी !
आशा जी... 'भर भर आती आँखें...', 'पूजा का थाल...' मन को छू गए ।
~सादर
अनिता ललित
10
कैसी ये मजबूरी
पास रहे फिर भी
ना मिट पाई दूरी।
ytaarth k sundr shabd chitr .
पूजा का थाल लिये द्वार खड़ी तेरे नैनों का ताल लिये। vaah
aap dono ko badhai
सुंदर
मर्मस्पर्शी माहिया हैं अनिता जी ,आशा जी ...
तूफ़ान घिरा ,आँखों का तारा , भर-भर आती और पूजा का थाल बहुत प्यारे लगे |
आप दोनों रचनाकारों को बहुत-बहुत बधाई !
बहुत सुन्दर और भावप्रवण माहिया हैं अनिता जी और आशा जी...आप दोनों को बधाई...|
तूफ़ान घिरा मन में
नींद कहीं खोई
काँटों के इस वन में bahut sundar v bhaavpranav anita ji ....shubhkaamnao ke saath -
भर-भर आती आँखें
उड़ना ही होगा
छूटेंगी ये शाखें।
bahu khoobsurat, katu saty ke saath....sadar naman ke saath badhai bhi asha ji .
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