अनिता मण्डा
1
झर-झर बरसे नैना
कह न जिसे पाएँ
वो बातें क्या कहना ?
2
आँखें जब भी रोतीं
यादों के पाखी
चुग ले जाएँ मोती।
3
काँटे बींधें तन को
पीर छुपा हँसती
खुशबू भाए मन को।
4
खिलती मन में कलियाँ
भूलें ना बचपन
बाबुल तेरी
गलियाँ।
5
बाट निहारें अँखियाँ
बागों में झूलें
सावन में सब सखियाँ।
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7 टिप्पणियां:
खूब
खिलतीं मन में कलियाँ....बहुत सुन्दर माहिया....बधाई अनिता मण्डा जी!
आँखें जब भी रोतीं
यादों के पाखी
चुग ले जाएँ मोती।
bahut khub! bahut bahut badhai...
मेरे माहिया को यहां स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद।
आप की टिप्पणियों के लिए दिल से शुक्रिया।
sundar mahiya ke liye bahut badhaii ..shubh kaamanaayen Anita ji !
अनिता जी बहुत खूब माहिया रचे हैं |बधाई |
आँखें जब भी रोतीं
यादों के पाखी
चुग ले जाएँ मोती।
बहुत सुन्दर माहिया हैं सभी...हार्दिक बधाई...|
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