डॉ•
भावना कुँअर
1
1
किनारों के कान में
चुपके -से ,हौले -से
न
जाने क्या-क्या
कहकर
है जाती
है
सबसे छिपाती।
किरणें
आज
गुदगुदाती जाएँ
सागर
के तन को
सूर्य
बुलाए
मंद-मंद मुस्काएँ
वापस
ही न जाएँ।
3
मन
की झील
शान्त
थी बरसों से
कौन
पथिक आया !
प्रेम-काँकर
फेंक
इसमें,भागा
हाथ
ही न आ पाया।
4
वक्त
ने मुझे
बेबस
ऐसा किया-
जलाया
था मैंने जो
प्रेम
का दीया
छोटी
-सी इस लौ
ने
जीवन
जला दिया।
5
5
अनगिनत
ख्वाब
मेरी
इन आँखों में,
पर
क्या किया?
ख्वाबों
के संग-संग
बेरौनक हुई अँखियाँ ।
6
आँखों में एक
बसा था सुरूर- सा
चिंगारियों से भरा
एक अदद
है कौन कमज़र्फ
ये जहान दे गया।
7
सहेजे रखी
जो बरसों से मैंने
यादों की पिटारियाँ
अचानक यूँ
एक निकल भागी
जा माँ के गले लगी
8
मन की बात
है छिप जाती कभी
सर्दी की धूप-जैसी
लहरों -संग
उछल जाती कभी
नन्ही मछलियों- सी।
9
मन की बात
लिख न पाए कोई
अठखेलियाँ करें
ये नटखट
चंचल लहरों -सी
ख्वाबों पे पहरे- सी।
10
10
छोड़ी है किसने
दर्द भरी पोटली?
जादू भरी -सी
निकालूँ,थक जाऊँ
खत्म न कर पाऊँ।
-0-
6 टिप्पणियां:
दर पे मेरे
छोड़ी है किसने
दर्द भरी पोटली?
जादू भरी -सी
निकालूँ,थक जाऊँ
खत्म न कर पाऊँ।
सुन्दर भाव लिए सभी अर्थपूर्ण सेदोका।
लेकिन यह बहुत मन को छू गया। भावना जी बहुत बधाई।
-0-
sabhi sedoka bahut sundar ...gahre bhav bhare ...
किरणें आज
गुदगुदाती जाएँ
सागर के तन को
सूर्य बुलाए
मंद-मंद मुस्काएँ
वापस ही न जाएँ।....bahut sundar bimb ...badhaaii !!
saadar
jyotsna sharma
सभी सेदोका बहुत भावपूर्ण. ख़ास कर जादू-सी दर्द भरी पोटली...कभी ख़त्म नहीं होती. शुभकामनाएँ.
इस सेदोका की गहराई लाजवाब है-मन की बात
लिख न पाए कोई
अठखेलियाँ करें
ये नटखट
चंचल लहरों -सी
ख्वाबों पे पहरे- सी। अन्य सभी सेदोका भी भावपूर्ण हैं । आप सबने सेदोका को ऊँचाई प्रदान की है।
Aap sabhi ka dil se aabhaar...
क्या बात है...! बहुत सुन्दर...| हार्दिक बधाई...|
प्रियंका'
एक टिप्पणी भेजें