सेदोका
हवा उडाती
अमराई की जुल्फे
टेसू हुए आवारा
हिय का पंछी
उड़ने को बेताब
रंगों का समाँ प्यारा ।
2
डोले मनवा
ये पागल जियरा
गीत गाये बसंती
हर डाली पे
खिल गए पलाश
भीगी ऋतु -सुगंध ।
3
झूमे बगिया
दहके है पलाश
भौरों को ललचाए
कोयल कूके
कुंज गलियन में
पाहुन क्यूँ न आए । .
4
झूम रहे है
हर गुलशन में
नए नवेले फूल
हँस रही है
डोलती पुरवाई
रंगों की उड़े धूल ।.
5
लचकी डाल
यह कैसा कमाल
मधुऋतु है आई
सुर्ख पलाश
मदमाए फागुन
कैरी खूब मुस्काई ।
-0-
अमराई की जुल्फे
टेसू हुए आवारा
हिय का पंछी
उड़ने को बेताब
रंगों का समाँ प्यारा ।
2
डोले मनवा
ये पागल जियरा
गीत गाये बसंती
हर डाली पे
खिल गए पलाश
भीगी ऋतु -सुगंध ।
3
झूमे बगिया
दहके है पलाश
भौरों को ललचाए
कोयल कूके
कुंज गलियन में
पाहुन क्यूँ न आए । .
4
झूम रहे है
हर गुलशन में
नए नवेले फूल
हँस रही है
डोलती पुरवाई
रंगों की उड़े धूल ।.
5
लचकी डाल
यह कैसा कमाल
मधुऋतु है आई
सुर्ख पलाश
मदमाए फागुन
कैरी खूब मुस्काई ।
-0-
2-डॉ सरस्वती माथुर
1
प्रेम छंद के
पिरो करके गीत
घर आँगन गूँजा
मधुर राग
सज़ धज के आया
प्रिय, देखो
न फाग l
2
सपनो -भरी
रंगों की दुनिया है
गूंजे होली के राग
प्रेम के संग
आओ भी प्रियतम
खेलें हम भी फाग ।
3
होली है आई
शीतल मधुमय सी
प्रेम रंग सँजोए
तन रंग लो
फागुन की बेला है
मन को भी रंग लो
4
भीगा सा मन
फागुनी संबोधन
आशाओं के गुलाल
बिखरे रंग
इन्द्रधनुषी फाग
मधुरिम से राग
-0-
ताँका
1-रेनु चन्द्रा
1
1
मैं ना खेलूं
द्वेष रंग से होली
प्रेम रंग से
गुलाबी हुआ मन
फाग रँगा रसिया।
2
मन चाहता
चंग बजा होली का
कोई तो आए
प्यार भरे भावों से
आँचल रंग जाए।
-0-
द्वेष रंग से होली
प्रेम रंग से
गुलाबी हुआ मन
फाग रँगा रसिया।
2
मन चाहता
चंग बजा होली का
कोई तो आए
प्यार भरे भावों से
आँचल रंग जाए।
-0-
5 टिप्पणियां:
namaste kamboj ji , sabhi rachnakaro ko holi ki hardik shubhkamnaye
sabhi rachnaye basanti mahak liye huye hai .
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण...होली की हार्दिक शुभकामनायें!
होलीमय ....बसंतमय ...सभी सुन्दर रचनाएँ ....शुभकामनायें ...
बहुत खूबसूरत भाव लिए सेदोका और तांका ...
बधाई सभी रचनाकारों को !
~सादर!!!
jeevan ke vividh rang saheje bahut madhur rachanaayen ...bahut badhaaii sabhi ko !!
saadar
jyotsnaa sharma
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