त्रिवेणी पर ताँका पोस्ट की शुरुआत हम नन्ही हाइकुकारा सुप्रीत के लिखे पहले ताँका से करते हैं;जो अभी 12 वर्ष की है ।| आशा करते हैं कि आपको पढ़कर अच्छा लगेगा ।
पतझड़ में पत्ते
उड़ने लगे
रंगीन हुई हवा
चेहरा सहलाए !
सुप्रीत कौर सन्धु
(सिडनी -आस्ट्रेलिया )
11 टिप्पणियां:
are wah beti tumne to kamal ka likha hai rangeen hui hawa chehra sahlaye kya kahun lag hi nahi raha hai ki ek nanhi si pari ne likha hai beta mera ashirvad hai tum bahut aage badho
pyar ke sath
rachana
Ek nanhii sii bachchhii ke itne pyare bhav tarefe kabil hi ...dili shubhkamnayen yun hi likhte rahiyega...yahi hamari duaa hai..
सुप्रीत बेटी बहुत दिनों बाद आपको .पढ रहा हूँ . ताँका के बहुत बधाई .विस्तार से बाद में लिखूँगा ,बधाई स्वीकार करें
hello रंगीन हुई हवा
चेहरा सहलाए !wow it is so beautiful..you know this is my favorite season when leaves change colors and there is that chill in the air...
त्रिवेणी में ताँका की शुरुआत नन्ही कलम से देखकर मन प्रसन्न हो गया|
सुप्रीत बेटा,आपकी रचना बहुत भावपूर्ण है...ऐसे ही लिखते रहिए...
मेरी ढेर सारी शुभकामनाएँ,प्यार और आशीर्वाद आपके साथ हैं|
प्रिय सुप्रीत,
बहुत दिनों बाद तुम्हारी कलम का जादू फिर देख रही...। हर बार की तरह इस बार भी बहुत खुशी हुई । तुम्हारे नन्हें हाथों में थमी ये कलम हमेशा ऐसे ही खूबसूरत शब्दों को हमारे सामने लाती रहे, मेरी ऐसी ही दुआ है...।
मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ...।
तुम्हारी,
प्रियंका आँटी
यह शुभ ही है कि 'त्रिवेणी' में शुरूआत नन्ही कलम से हुई है… बहुत सुन्दर है सुप्रीत का यह तांका… बधाई और शुभकामनाएं…
अरे इस कमाल कि पोस्ट का असर हमारे यहाँ भी शुरू हो गया है हवा भी रंगीन हो गयी है और चेहरा भी सहला रही है. शुभ कामनाएं और आशीर्वाद
बहुत खूब
सुप्रीत और त्रिवेणी ब्ल़ॉग दोनों आगें पढें यही मनोकामना है
हर्षित हूँ आपको नन्ही सुप्रीत का यह प्रयास अच्छा लगा | आपने उसके ताँका पर अपने अमूल्य विचार दिए और नन्ही कलम में एक नई जान फूँक दी |
आपके आत्मीय विचारों ने बिटिया का उत्साह बढ़ाया |
इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
हार्दिक धन्यवाद !
हरदीप
सुप्रीत बिटिया ने बहुत उम्दा तांका लिखा है .....लेखन की अनेक संभावनाएं नजर आ रही हैं ...उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं एवं स्नेह .... -- ---Dr. Rama Dwivedi डॉ रमा द्विवेदी जी की यह टिप्पणी मेल पर आई है ,तकनीकी कारण से रमा जी पोस्ट नहीं कर सकी थीं। -'हिमांशु'
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