सोमवार, 4 दिसंबर 2017

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रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
1
मन-मीत चले आओ
दो पल बाकी हैं
सीने से लग जाओ।
2
तन से तुम दूर रहे
पर सूने मन में
तुम ही भरपूर रहे ।
3
बस इतना जाने हैं-
इस जग में तुमको
हम अपना माने हैं।
4
जाने कब आओगे !
बाहों में खुशबू
बनकर खो जाओगे।
5
कुछ समझ नहीं आता
कितने जन्मों का 
मेरा तुमसे नाता ।
6
जब अन्त इशारा हो
होंठों पर मेरे
बस नाम तुम्हारा हो।
7
जिस लोक चला जाऊँ
चाहत इतनी-सी-
तुमको ही मैं पाऊँ।
8
तुमको जब पाऊँगा-
पूजा क्या करना
मंदिर क्यों जाऊँगा।
9
चन्दा तुम खिल जाना
सूनी रातें हैं
धरती से मिल जाना।
10
नभ आज अकेला है
प्यासी धरती से
मिलने की बेला है।
11
जीवन में प्यास रही-
जो दिल में रहते
मिलने की आस रही।
12
चित्र; कमला निखुर्पा 
बादल तुम ललचाते
आकर पास कभी
क्यों दूर चले जाते ।
13
धरती ये प्यास-भरी
बादल रूठ गए
मन की हर आस मरी।
14
तुमको पा जाऊँगी
कब तक रूठोगे
हर बार मनाऊँगी।
15
इस आँगन बरसोगे
प्यासा छोड़ मुझे
तुम भी तो तरसोगे।
-0-

15 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

Vibha Rashmi ने कहा…

कुछ समझा नहीं आता
कितने जन्मों का
मेरा तुमसे नाता ।
बहुत सुन्दर ,मर्मस्पर्शी माहिया । हार्दिक बधाई लें हिमांशु भाई जी ।

नीलाम्बरा.com ने कहा…

भावपूर्ण हैं माहिया, हार्दिक बधाई महोदय।

Satya sharma ने कहा…

बहुत ही सुंदर भावपूर्ण माहिया ।
हार्दिक बधाई आदरणीय भैया ।

Satya sharma ने कहा…

बहुत ही सुंदर भावपूर्ण माहिया ।
हार्दिक बधाई आदरणीय भैया ।

Dr.Purnima Rai ने कहा…

वाह!!हृदयस्पर्शी एवं मनमोहक माहिया....आदरणीय यह माहिया सदाबहार रहेंगे। नमन

Anita Manda ने कहा…

बहुत ख़ूब !!
लय, भाव से परिपूर्ण माहिये मन को छू गये।

Dr. Surendra Verma ने कहा…

प्यार से लबालब | सर्वथा गेय |सु. व.|

सुनीता काम्बोज ने कहा…

मनमोहक, ह्र्दयस्पर्शी माहिया आदरणीय ..सादर नमन ।

Jyotsana pradeep ने कहा…


जिस लोक चला जाऊँ
चाहती इतनी-सी-
तुमको ही मैं पाऊँ।

तुमको जब पाऊँगा-
पूजा क्या करना
मंदिर क्यों जाऊँगा।

बहुत खूबसूरत माहिया !गहरे पावन प्रेम के सागर में कँवल से खिल रहे हैं ये माहिया ...हर फूल की एक अलग ही छवि है बहुत - बहुत बधाई भैया जी !

ज्योति-कलश ने कहा…

प्रेम रस भीने बहुत सुन्दर ,सरस माहिया !

हार्दिक बधाई भैया जी !!

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

बहुत सरस मनमोहक माहिया का सृजन किया है भाई कम्बोज जी | हार्दिक बधाई |

Krishna ने कहा…

प्रेम रस में भीगे मर्मस्पर्शी माहिया। बहुत-बहुत बधाई भाईसाहब।

रश्मि शर्मा ने कहा…

बहुत ही भावपूर्ण और खूबसूरत।

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

जब अन्त इशारा हो
होंठों पर मेरे
बस नाम तुम्हारा हो।
इतना प्रेम जहाँ हो, वहाँ किसी और दुआ की ज़रूरत ही नहीं रह जाती...| अप्रतिम...|
बाकी सभी माहिया भी बहुत ही ज़्यादा पसंद आए...|
ढेरों बधाई...|