ताँका रचनाएं : डॉo सुरेन्द्र वर्मा
1
घिरती रात
दहाड़ती लहरें
समुद्र तट -
यहाँ नहीं हो तुम
फिर भी मेरे पास
2
हर चौखट
भटकता रहा मैं
तुम्हारे लिए
जंगल में बस्ती में
गरमी में सर्दी में
3
इतना वृद्ध
कि छोड़ गए मित्र
सारे के सारे
बरगद पुराना
देता रहा सांत्वना
4
वासंती दिन
हर जगह शान्ति
जूही के फूल
क्यों अशांत होकर
यत्र तत्र बिखरे
5
वादा करके
मुकर गई थी
मेरी तो छोडो
सौगंध खाकर वो
है कित्ती दयनीय !
6
एक अकेला
पर्वत की ढाल पे
चीड का वृक्ष
चारो ओर ताकता
कोई साथी न पास
7
युग युगांत
बीते राह देखते
झोली न भरी
खाली आई थी साथ
रीती चली जाएगी
8
डूबना चाहा
उतराता ही रहा
सतह पर
गहरी थी नदिया
तैर भी तो न पाया
9
सर्वत्र व्याप्त
अनुपस्थित रहा.
एकला चला
भीड़ जुटती गई
राह बनती गई
(10
गुलमोहर
सहता रहा ताप
हंसता रहा
तंज कसता रहा
क्रोध पर सूर्य के
-0-
डा. सुरेन्द्र वर्मा (मो. ९६२१२२२७७८)
१०, एच आई जी / १, सर्कुलर रोड ,इलाहाबाद -२११००१
-0-
2-पुष्प मेहरा
यादें हैं मेरी
उधार की न कोई,
मिलीं भेंट में
अपनों से ही मुझे
अमूल्य बड़ी
ब्याज़ न वसूलतीं
लुटीं न कभी
मन- पेटिका भरी
चमकती हैं
सदा स्वर्ण-आभा- सी
दिपदिपातीं
रातों में जुगनू -सी
चन्द्र-चन्द्रिका
भोर उजास -भरी
झोंका हवा का
ठंडा मनभावना
जुड़ाता मन
ताप धूप का बन
जलाती मन
कभी झड़ी वर्षा की
फुहार बन
अंतर्मन भिगोती,
अरे ! देखो तो
पेटी में बंद डाँट
प्यारी अम्मा की
जो तहों में सहेजी
पड़ी थी दबी
आज अचानक ही
खुलने लगी
परतें,सुगंधित
उसकी सारी ,
भीगा जो मन-पट
मीठी गंध से
हो उठी भावुक मैं
रोए जो नैन
तह से खुला पल्लू ,
माँ का निकला
पोछने लगा आँसू
धीरे-धीरे से,
अहा !अमोल पल
सुरभित वे
भूलूँगी नहीं कभी
सोचती हुई ,
दौड़ गई तेज़ी से
कभी बस्ती में
कभी सूनेपन में
झूलों-पेड़ों पे
मन्दिरों व बागों में
खलिहानों में
रातों-महफ़िलों में
देखती फ़िल्में -
हर पल बिताए
सभी दिनों की
हसीन थे जो सारे,
उन्हीं दिनों को
तह पे तह लगा
बंद पेटी में
बुरी नज़र वाले
हर साथी से
छिपा कर रखूँगी
सूने में ही खोलूँगी ।
-0-
13 टिप्पणियां:
इतना वृद्ध
कि छोड़ गए मित्र
सारे के सारे
बरगद पुराना
देता रहा सांत्वना ।
आ.सुरेन्द्र वर्मा भाई जी को बहुत सुन्दर , जीवन के करीब ताँका रचना के लिये हार्दिक बधाई ।
बंद पेटी में
बुरी नज़र वाले
हर साथी से
छिपा कर रखूँगी
सूने में ही खोलूँगी ।
मनभावन ताँका रचनाओं के लिये आ.पुष्पा मेहरा दी को दिली बधाई ।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति सुरेन्द्र वर्माजी,पुष्पा मेहराजी हार्दिक बधाई।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। सुरेन्द्र वर्माजी, पुष्पा मेहराजी जी आप दोनें के हार्दिक बधाई।
सुरेन्द्र वर्मा जी के ताँका और पुष्पा जी का चोका दोनों रचनायें सुन्दर अभिव्यक्ति सम्पन्न हैं ।पुष्पा जी जीवन की माँ के संग बिताये अनमोल पलों की यादों में प्रस्तुति क्या बात है ।आप दोनों को बधाई ।
बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण ताँका एवं चोका रचनाएँ ...आ. सुरेन्द्र वर्मा जी एवं पुष्पा दी को हार्दिक बधाई !
आदरणीय डॉ सुरेन्द्र जी नमन...उत्तम अभिव्यक्ति
आदरणीया पुष्पा जी बहुत खूब
आदरणीय डॉ सुरेन्द्र वर्मा जी एवं पुष्पा जी अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति है।
खूबसूरत तांका और चोका की रचना पर आप दोनों को हार्दिक बधाई |
हर चौखट
भटकता रहा मैं
तुम्हारे लिए
जंगल में बस्ती में
गरमी में सर्दी में।
सुरेन्द्र वर्मा जी सभी ताँका बहुत सुंदर, हार्दिक बधाई ।
पुष्पा मेहरा जी बहुत सुंदर चोका ,आत्मिक बधाई ।
बेहतरीन तांका और खूबसूरत चोका के लिए सुरेन्द्र जी और पुष्पा जी आप दोनों को बहुत बधाई...|
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