1-डॉo हरदीप कौर सन्धु
उड़े गुलाल
हुई रंग बौछार
घर -आँगन
रंग से रंग मिले
दिल से दिल नहीं
2
होली के दिन
रंग -भीगा बदन
क्यों रंगभीगा
हुआ न तेरा मन
फीका लगे क्यों रंग
3.
उड़े ज्यों रंग
रंगीन हुई फिज़ा
ढूंढ़ता रहा
मैं एक रंग ऐसा
जो रंगे मेरी आत्मा
-0-
2-डॉo श्याम सुन्दर ‘दीप्ति’
1
अरी ये क्या है !
कच्चे रंग तुम्हारे
ला सको घर
पक्के रंग का घोल
रिश्ते हों अनमोल ।
2
होली के रंग
तभी ला सके रंग
अगर हम
भूल जाएँ मिलना
ऊँचे रुतबों -संग ।
3
रिश्तों के रंग
भर लाते तो बात
बने सौगात
रिश्तों में हो मिठास
होली करते याद
-0-
-0-
3-डॉo भावना कुँअर
1
होली के रंग
कभी, थे मेरे संग
बिखरे सभी
जब से हुए जुदा
वो बेदर्द सनम।
2
फूलों के रंग
या हों फिर होली के
दें सूनापन,
जीना लगे बेकार
जब पिया न संग।
3
मेरी तरह
निहारते हैं राह
सजे हुए ये,
रंग-बिरंगे थाल
बेबस औ बेहाल।
4
बढ़ी दूरियाँ
लगने लगे फीके
सारे ही रंग,
फूलों के या होली के
प्यार की ठिठोली के।
-0-
6 टिप्पणियां:
आपके ये रंगा-रंग ताँका पढ़कर दिल प्रफुल्लित हो उठा । आपके जीवन में शब्द और अर्थ के ये रंग हमेशा खुशबू घोलते रहें । उदासियों के दौर में ये रंग अपनी रौशनी से हर अन्धेरा दूर करते रहें। इस अवसर पर आपके इस अग्रज की सात्त्विक हृदय से सारी शुभकामनाएँ !!
ड़ॉ दीप्ति ने रिश्तों क महत्त्व दर्शाया है तो भावना जी ने होली के रंग को विभिन्न स्वरूपों में प्रस्तुत किया है। प्यार का रंग न हो तो सारे रंग फीके नज़र आते हैं ।सबको मेरी हार्दिक बधाई !!
होली के दिन
रंग -भीगा बदन
क्यों रंगभीगा
हुआ न तेरा मन
फीका लगे क्यों रंग - हरदीप जी के इस तांका की उदासी कोला सको घर
पक्के रंग का घोल
रिश्ते हों अनमोल ।- दीप्ति जी पक्के रंगों के महत्त्व को और बढ़ी दूरियाँ
लगने लगे फीके
सारे ही रंग,
फूलों के या होली के
प्यार की ठिठोली के। भावना जी दूरियां बढ़ने के बाद जीवन का फीकापन बहुत संज़ीदगी से मुखरित हुआ है ।
Aap sabko taanka pasnd aaye uske aap sabka dil aabhar...
sabhi taanka bahut khoobsurat, holi-sa rangmaye aur bhaavpurn, sabhi ko badhai aur shubhkaamnaayen.
होली पर आधारित सभी ताँके बहुत खूबसूरत हैं...। बधाई...।
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