डॉ0मिथिलेशकुमारी मिश्र
1
मत तोड़िए
किसी का हौसला यों
भँवर से वो
हाथ-पाँव मार के
निकल ही जाएगा
2
जीवन भर
चलता नहीं कोई
किसी के साथ
भरोसा खुद पर
अकेला चल आगे
3
मेमने हैं तो
भेड़ियों से बचाना
मीठी बोली में
किसी भी हालत में
कभी फँस न जाना
4
राह में दीये
जलाते हुए चल
भूल जो गए
अपनी सही राह
रौशनी उन्हें दिखा
5
छली जा रहीं
हर मोड़ पे सीता
आ जाओ राम !
अब एक नहीं है
अनेक हैं रावण
6
अच्छी लगती
धूल पाँव में सदा
आँख में पड़ी
इसे सिर न चढ़ा
अंध-सा कर देगी
7
सुख या दुख
बाहर से न आते
मन की बातें
जैसे भी समझ लो
महसूस कर लो
8
इच्छा यही है
प्यार से शुरू होके
ज़िंदगी बीते
प्यार के पड़ावों का
अंत ही प्यार
9
आँख-मिचौली
खेले, पूनो का चाँद
बादलों के संग
औ’ तारे ढूँढ़ा करें
उसको सारी रात
10
पढ़ लिया है
मैंने तेरी आँखों में
छिपा वो सच
कहा नहीं जो तूने
जुबाँ से आज तक
-0-
( शीघ्र प्रकाश्य तांका -संग्रह -‘मुखर हुए शब्द’ से )
प्रस्तुति- रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु;
4 टिप्पणियां:
मत तोड़िए
किसी का हौसला यों
भँवर से वो
हाथ-पाँव मार के
निकल ही जाएगा...
Bahut gahari abhivyakti,gahan chintan tabhi itna ubharkar aaya hai ye taanka bahut2 badhai...
पढ़ लिया है
मैंने तेरी आँखों में
छिपा वो सच
कहा नहीं जो तूने
जुबाँ से आज तक
bahut sunder tanka hain badhai,
saadar,
amita kaundal
सभी ताँका अर्थपूर्ण और संदेशप्रद, बहुत शुभकामनाएँ.
जीवन भर
चलता नहीं कोई
किसी के साथ
भरोसा खुद पर
अकेला चल आगे
पढ़ लिया है
मैंने तेरी आँखों में
छिपा वो सच
कहा नहीं जो तूने
जुबाँ से आज तक
ताँके तो सभी खूबसूरत हैं पर ये दो खास तौर से मन को भा गए...बधाई...।
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