शनिवार, 24 मार्च 2012

1. नन्ही चिड़िया,2.पेड़ निपाती


डॉ सरस्वती माथुर
1. नन्ही  चिड़िया
छाया: रोहित काम्बोज
नन्ही  चिड़िया
 धूप -स्पर्श  ढूँढती
 फुदकती -सी
 अंग -प्रत्यंग सँजो
 पंख समेट
 गहरी सर्द रात
 काँपती रही;
 प्रफुल्लित- सी  हुई
 सूर्य ने छुआ
 जब स्नेह - आँच से,
 पंख झटक
 किरणों से खेलती
 नयी दिशा में 
 उड़ गयी फुर्र से
 चहचहाते  हुए ! 
-0-
2.पेड़  निपाती
छाया: रोहित काम्बोज 
पतझर में
उदास पुरवाई
 पेड़  निपाती
 उदास अकेला -सा ।
 सूखे पत्ते भी
 सरसराते उड़े
 बिना परिन्दे
 ठूँठ -सा पेड़ खड़ा
 धूप छानता
 किरणों से नहाता
  भीगी शाम में
 चाँदनी ओढ़कर
 चाँद देखता
 सन्नाटे से खेलता
 विश्वास लिये-
 हरियाली के संग
 पत्ते फिर फूटेंगे 
-0-
(प्रस्तुति:- रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु')

7 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति।
कृष्णा वर्मा

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

भावपूर्ण रचना की चित्रमय प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी, बधाई.

induravisinghj ने कहा…

Behatreen rachna.....

Jyotsna Sharma ने कहा…

bahut sundar abhivyakti aur prastuti .....

सारिका मुकेश ने कहा…

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति!
बहुत-बहुत साधुवाद!
सादर/सप्रेम
सारिका मुकेश

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

गहरी अभिव्यक्ति से परिपूर्ण सुन्दर चोका...बधाई...।

उमेश महादोषी ने कहा…

सुन्दर भाव चित्र!