डॉ सरस्वती माथुर
1. नन्ही चिड़िया
धूप -स्पर्श ढूँढती
फुदकती -सी
अंग -प्रत्यंग सँजो
पंख समेट
गहरी सर्द रात
काँपती रही;
प्रफुल्लित- सी हुई
सूर्य ने छुआ
जब स्नेह - आँच से,
पंख झटक
किरणों से खेलती
नयी दिशा में
उड़ गयी फुर्र से
चहचहाते हुए !
-0-
2.पेड़ निपाती
उदास पुरवाई
पेड़ निपाती
उदास अकेला -सा ।
सूखे पत्ते भी
सरसराते उड़े
बिना परिन्दे
ठूँठ -सा पेड़ खड़ा
धूप छानता
किरणों से नहाता
भीगी शाम में
चाँदनी ओढ़कर
चाँद देखता
सन्नाटे से खेलता
विश्वास लिये-
हरियाली के संग
पत्ते फिर फूटेंगे ।
-0-
(प्रस्तुति:- रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु')
(प्रस्तुति:- रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु')
7 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति।
कृष्णा वर्मा
भावपूर्ण रचना की चित्रमय प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी, बधाई.
Behatreen rachna.....
bahut sundar abhivyakti aur prastuti .....
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति!
बहुत-बहुत साधुवाद!
सादर/सप्रेम
सारिका मुकेश
गहरी अभिव्यक्ति से परिपूर्ण सुन्दर चोका...बधाई...।
सुन्दर भाव चित्र!
एक टिप्पणी भेजें