1-वरिन्दरजीत
सिंह बराड़ (बरनाला)
1.
दुःख हैं
ज़्यादा
लगते रास्ते बंद
मिले न सुख
खुद खुलेगी राह
लड़ दुःख के साथ ।
2 .
मालूम नहीं
कैसे जाऊँ मैं पार ?
मुश्किल रास्ते
हो हिम्मत का साथ
झुका दे कायनात ।
-0--
2-डॉ•ज्योत्स्ना शर्मा
1
रे मन तेरा
अद्भुत व्यवहार
दीप- नगरी
है जगर- मगर
हवा पहरेदार !
2
मोह ने बाँधा
बिछोह ने छुडाया
रिश्ते जंजीरे
मन ने पहचाना
अपना या पराया ।
3
बोझ न ढोना
क्या हीरे और मोती
संग न जाएँ
सुन्दर कर्म भले
औ’ मुस्कान सुहाए ।
4
बीज खुशी के
मैं बो आई थी कल
उग आएँगे
कुछ पौधे प्यारे- से
प्रेम- रस भीने -से ।
-0-
4 टिप्पणियां:
bahut sundar post hardik badhai , sabhi tanka acche lage
दोनों रचनाकारों के भावपूर्ण ताँका...बधाई।
बहुत सुंदर ताँका!
वरिन्दरजीत सिंह जी व डॉ ज्योत्सना शर्मा जी... आप दोनों को हार्दिक शुभकामनाएँ!
~सादर!!!
जीवन की सच्चाई है इन खूबसूरत तांका में...|
आप दोनों को बधाई...|
प्रियंका
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